बिहार चुनाव के नतीजे आने में अब सिर्फ दो दिन का ही समय रह गया है। हालांकि, तीसरे चरण के मतदान पूरे होने के बाद अलग-अलग टीवी चैनल और सर्वे एजेंसियों ने जो एग्जिट पोल जारी किया है, उसके मुताबिक बिहार में इस बार महागठबंधन की सरकार बनती दिख रही है। लोकसभा चुनाव में सबसे विश्वसनीय रहे इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक, विपक्षी महागठबंधन को इस चुनाव में 139 से 161 सीटों के बीच मिलेंगी, वहीं एनडीए को 69 से 91 सीटें मिलने का अनुमान है। यानी दोनों अलायंस के बीच 70 सीटों का फर्क रह सकता है।
बता दें कि महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं। वहीं, जदयू, भाजपा, हम और वीआईपी एनडीए का हिस्सा हैं। चुनाव के ताजा प्रोजेक्शन के मुताबिक, इस बार तेजस्वी यादव सबसे बड़े चेहरे के ऊपर में उभर रहे हैं। 2015 के मुकाबले तेजस्वी इस बार महागठबंधन को 40 सीटें ज्यादा दिलवाएंगे, जबकि एनडीए 45 सीटे हार जाएगी। इतना ही नहीं सर्वे में शामिल रहे 44 फीसदी लोगों ने भी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पहली पसंद बताया। वहीं नीतीश कुमार को दोबारा सीएम देखने की चाहत 35 फीसदी लोगों ने जताई है। लोजपा प्रमुख चिराग पासवान को फिलहाल 7 फीसदी लोगों ने ही सीएम की पसंद बताया है।
अगर तेजस्वी इस बार सीएम बनते हैं तो वह राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री होंगे। बताया गया है कि महागठबंधन की ओर से तेजस्वी को सीएम के लिए प्रोजेक्ट करने का फायदा हुआ है। बिहार के युवाओं ने खुलकर तेजस्वी के लिए वोटिंग की। एग्जिट पोल के मुताबिक 18 से 25 और 26 से 35 की उम्र वाले 47 फीसदी वोटरों ने तेजस्वी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए वोट किया।
सर्वे के मुताबिक, सिर्फ युवाओं ने ही नहीं बल्कि प्रवासी मजदूरों ने भी सीएम नीतीश कुमार की जगह तेजस्वी यादव को चुना है। जहां महागठबंधन को 44 फीसदी प्रवासी मजदूरों ने पसंद बताया, वहीं एनडीए को 37% ने वोट देने की बात कही। बताया गया है कि बिहार में मतदाताओं के बीच बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा रही है। लॉकडाउन के बाद 30 लाख लोगों के बिहार लौटने से राज्य में बेरोजागरों की संख्या भी बढ़ी है।
एग्जिट पोल में कहा गया है कि 30 फीसदी मतदाताओं ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा माना, जबकि इससे पहले लोकनीति-सीएसडीएस बिहार ने अक्टूबर में प्री-पोल सर्वे में बताया था कि 20 फीसदी लोग बेरोजगारी की वजह से सरकार से नाराज हैं। यानी वोटिंग के दौरान 10 फीसदी अतिरिक्त लोगों ने बेरोजगारी के मुद्दे पर वोटिंग की।