उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस समय नया मोड़ आया जब अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह ने ऐलान किया कि वो सिर्फ साइकिल चुनाव चिन्ह पर ही उम्मीदवार उतारेंगे। अभी तक दोनों के बीच गठजोड़ पर सिर्फ कयास लगाए जा रहे थे। हालांकि, शिवपाल की अपनी पार्टी है और उसका अपना अलग चुनाव चिन्ह है। ऐसे में शिवपाल के बयान से साफ है कि बीजेपी से लड़ाई में वो अखिलेश के हाथ मजबूत करना चाहते हैं।

शिवपाल ने कहा कि टिकटों का फैसला अखिलेश यादव पर छोड़ दिया है. अब हमने उनको अपना नेता मान लिया है। जीतने वाले कैंडिडेट होंगे उन्हीं को टिकट दिया जाएगा। शिवपाल पहले भी कह चुके हैं कि अखिलेश से कोई मतभेद नहीं है। उनको अपना नेता मान लिया है। मैं अब किसी के बहकाने में आने वाला नहीं हूं।

अखिलेश से मतभेदों के बाद शिवपाल सिंह यादव ने अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया था। समाजवादी पार्टी में वर्चस्व को लेकर दोनों के बीच लड़ाई थी। शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया को निर्वाचन आयोग ने स्टूल चुनाव चिह्न आवंटित किया है। उन्होंने बताया कि अपने तथा अन्य के टिकट का फैसला अखिलेश यादव पर छोड़ दिया गया है।

उधर, शिवपाल ने अपर्णा यादव को नसीहत देते हुए कहा है कि वो पहले पार्टी के लिए काम करें और फिर कोई उम्मीद रखें। उनका यह भी कहना है कि मुलायम सिंह की बहू को सपा में ही रहना चाहिए। ध्यान रहे कि अपर्णा यादव के बीजेपी ज्वाइन करने की अटकलें काफी दिनों से लगाई जा रही थीं। माना जा रहा था कि अगर वो बीजेपी के पाले में जाती हैं तो इसका अच्छा संदेश लोगों के बीच नहीं जाएगा। ऐसे में शिवपाल की नसीहत को एक बड़ा संदेश माना जा रहा है।

अपर्णा ने 2017 विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट से हार गई थीं। अपर्णा को भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने पटखनी दी थी। वह पिछले काफी समय से सोशल मीडिया और अपने इंटरव्‍यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की तारीफ करती दिख रही हैं। राजनीति के जानकार इसे भाजपा की यादव कुनबे में सेंध मान रहे हैं।