Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल पूरी तरह से तैयारी में जुटे हुए हैं। जेडीयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए में लौटने के बाद भी राज्य में दोनों दलों की लोकसभा सीटों में गिरावट होने की संभावना है। वहीं, इंडिया गठबंधन के घटक दलों को मामूली फायदा होता नजर आ रहा है।
इंडिया टुडे और सी वोटर ने द्वारा बिहार की जनता के मूड को जानने के लिए एक सर्वे किया है। इस सर्वे में एनडीए गठबंधन को 40 में से 32 सीटें मिलने का अनुमान है और इंडिया गठबंधन के घटक दलों – लालू प्रसाद यादव की RJD और वामपंथी दल की सीटों में बढ़ोतरी होने की संभावना है। इनके आठ सीटें जीतने का अनुमान जताया गया है। इंडिया टुडे के सर्वे में लगभग 35,801 लोगों ने सर्वे किया था।
बिहार के मूड में क्या है
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा, जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी ने एक साथ चुनाव लड़ा और 40 में से 39 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इसमें भारतीय जनता पार्टी ने 17 सीटों पर बाजी मारी, नीतीश कुमार की जेडीयू ने 16 और एलजेपी ने 6 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में विपक्ष को तगड़ा झटका लगा था और कांग्रेस पार्टी के हिस्से में एक सीट आई थी और लालू की आरजेडी शून्य पर ही सिमट कर रह गई थी।
लोकसभा चुनाव के वोट शेयर की बात की जाए तो एनडीए के गठबंधन को 53 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि, इस बार भी ज्यादा गिरावट देखने की संभावना नहीं है। वहीं, इंडिया गठबंधन के वोट शेयर में बढ़ोतरी होने का अनुमान जताया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आठ सालों में पाला बदल लेने से किसी भी गठबंधन को कोई ज्यादा फायदा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है।
बीजेपी को छोटे दलों को भी साथ लेकर चलना होगा
इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार राज्य में एनडीए को सीट बंटवारे की बातचीत के दौरान कई छोटे दलों को भी साथ लेकर चलना होगा। नीतीश कुमार की जेडीयू 2019 में एनडीए का हिस्सा थी, एलजेपी भी अब दो पार्टी में बंट चुकी हैं। एक का नेतृत्व चिराग पासवान कर रहे हैं और दूसरे का नेतृत्व उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस कर रहे हैं। इनके अलावा जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक जनता दल भी बीजेपी के साथ मिल गए हैं।