अमेठी की रानी कहलाने वाली गरिमा सिंह का कहना है कि उनकी शादी अमेठी के राजा के बेटे डॉ. संजय सिंह के साथ हुई थी। वे बताती हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह उनके सगे चाचा थे। गरिमा सिंह अभी भाजपा से अमेठी सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं और यहां से वह विधायक भी रही हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वे खुद को डॉ. संजय सिंह की पत्नी साबित करने में जुटी हुई हैं। आइए जानते हैं उनका राजनैतिक सफर कैसे शुरू हुआ।
उन्होंने कहा कि साल 1993 में एक अखबार की खबर के जरिये पता लगा कि संजय ने अमिता मोदी से शादी कर ली है। तब से वे खुद को उनकी पत्नी साबित करने की कानूनी लड़ाई लड़ रही हूं और अपनी आखिरी सांस तक कोशिश करती रहेंगी। उन्होंने कहा कि वे महल में पर्दे के बीच रहते हुए सभी नियमों का पालन किया है। अब वे कानूनी लड़ाई के लिए और जनता के हक की लड़ाई के लिए उनके बीच सफर कर रही हैं।
अपने बारे में बताते हुए कहती हैं कि जन्म बिहार के चंपारण जिले में अपने नाना के यहां हुआ। पिता हरबख्श सिंह का परिवार प्रयागराज से थे। 18 साल की उम्र में अमेठी के राजा साहब के बेटे डॉ. संजय सिंह से उनकी शादी हो गई। उस दौरान तो सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था। शादी के दो साल बाद मेरी बेटी हुई। वहां पर खुशियां और बढ़ गई, क्योंकि एक बड़ी वजह थी कि चार पुश्तों से अमेठी के महल में किलकारी नहीं गूंजी थी। डा. संजय सिंह के पिता और अमेठी के राजा राजर्षि रणंजय सिंह मेरे ससुर थे।
इमरजेंसी का दौर जब शुरू हुआ तो उनके पति ने अमेठी से पहला चुनाव लड़ा और वे भारी मतों से जीते। उन्हें नेताओं और लोगों से मिलने का शौक था। लंबी चौड़ी उनकी सर्किल थी। अपने कामों की वजह से वे काफी व्यस्त रहते थे। इसलिए मैं हमेशा उनके लिए खड़ी रहती थी।
80 के दशक के दौरान जब खेल मंत्रालय संजय सिंह के पास था तो उनकी मुलाकात बैडमिंटन खिलाड़ी सैय्यद मोदी से हुई। फिर सैय्यद मोदी की शादी बैडमिंटन प्लेयर अमिता मोदी से हो गई। दोनों ही हमारे पारिवारिक मित्र बन गए। अमिता मोदी हमसे अपनी कई परेशानियां शेयर किया करती थी।
उन्होंने बताया कि उनके पति और अमिता की नजदीकियां बढ़ने लगी। इस बात से सैय्यद मोदी को आपत्ति भी थी। अमिता का महल में आना जाना लगा रहता था। जिसे लेकर उनके ससुर को भी आपत्ति थी। मेरी भी लड़ाई कई बार डॉ. साहब यानी संजय सिंह से हुई। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा।
फिर सैय्यद मोदी की हत्या हो गई और राजनैतिक और समाजिक जीवन में खलबली मच गई। हर दिन सीबीआई के छापे पड़ने लगे। जो उनके पति के सपोर्ट में आते थे। उन्होंने बताया कि उस दौरान वे उन्हें खाना खिलाने और घर की तमाम जिम्मेदारियां संभाल रखी थी। वे पति के साथ हमेशा चट्टान के साथ खड़ी रहीं।
उन्होंने बताया कि मेरे पति को गोली मारी गई। मैंने फौरन अपने चाचा वीपी सिंह से बात की। उस वक्त वे प्रधानमंत्री थे। उनकी वजह से हमें फौरन लंदन जाने के लिए फ्लाइट मिल गई और मेरे पति का इलाज हो सका। मौत के मुंह में से छीनकर मैं अपने उन्हें बचाकर वापस लाई।
भास्कर को दिए गए अपने इंटरव्यू में कहा कि भले ही डॉ संजय ने दूसरी शादी कर ली है, लेकिन वो शादी वैध नहीं है। अमेठी की रानी और उनकी पत्नी मैं ही हूं। इसको लेकर ही मैं लड़ाई लड़ रही हूं। मुझे अपने बच्चों को उनका हक दिलाना है।
उन्होंने कहा कि मैंने तो कभी भी अपने पति को तलाक दिया ही नहीं। मैं तो कभी ऐसा सोच भी नहीं सकती हूं। छानबीन करने पर पता लगा कि सीतापुर की अदालत में किसी नकली गरिमा सिंह की फोटो लगाकर मेरी ओर से तलाक के कागज तैयार करवाए गए और नकली साइन करके मेरे पति को दिए गए, जिस पर उन्होंने अपने साइन कर दिए। तलाक के 25 दिन के बाद उन्होंने अमिता के साथ शादी कर ली। मैंने अदालत में अपने पति की दूसरी शादी को चैलेंज किया तो अदालत ने पाया कि उनकी शादी गैर कानूनी है।
कहा कि लखनऊ से महल में गई तो मुझे अंदर दाखिल नहीं होने दिया गया। मैं अपने कुल देवता के मंदिर से ही वापस लखनऊ आ गई। अब लड़ाई मान सम्मान की हो गई थी। मैंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अमेठी वाले महल के ऊपर के फ्लोर के दो कमरों पर मुझे अपने बच्चों के साथ रहने की इजाजत दी गई। उसके अलावा मुझे और मेरे बच्चों को महल में कहीं भी जाने की इजाजत नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस तरह दर्दभरी कहानियां उनके पास है। उन्होंने भाजपा इसलिए ज्वाइंन किया है कि अब वे महल की जिंदगी छोड़कर अमेठी की जनता के बीच रहना चाहती हैं।
उनके पास राजनीति में जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। उन्होंने तय किया कि वे विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। भाजपा की ओर से चुनाव लड़ने के बाद साल 2017 में विधायक बनी। अमेठी की जनता ने मुझे अमेठी की बहू मानते हुए जिताया।