कांग्रेस ने अपनी परंपरागत अमेठी लोकसभा सीट से पार्टी उम्मीदवार की घोषणा कर कर दी है। शुरुआत में संभावना जताई जा रही थी कि इस सीट पर राहुल गांधी या प्रियंका गांधी चुनाव लड़ सकते हैं, या फिर परिवार के किसी अन्य सदस्य को यहां से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।
मगर, कांग्रेस ने इन संभावनाओं का दरकिनार कर इस सीट से पार्टी नेता किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है।
अमेठी सीट के लिए यह पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस ने ऐसा विकल्प तैयार किया है। इससे पहले कांग्रेस ने यहां से पांच बार गांधी परिवार से हटकर अन्य उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है। लोकसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि अमेठी सीट पर अब तक कुल सोलह बार चुनाव हुए हैं, जिनमें उपचुनाव भी शामिल रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने यहां से जीत दर्ज की थी।
इससे पहले भी भाजपा के एक और नेता अमेठी सीट पर अपनी जीत दर्ज करा चुके हैं। वैसे अमेठी लोकसभा सीट का सीधा नाता गांधी परिवार से रहा है। वर्ष 2019 के आंकड़े की बात करें तो इस सीट पर सीधा मुकाबला कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भाजपा नेता स्मृति इरानी के बीच था। इस सीट पर राहुल गांधी हार गए थे और इस बड़ी जीत के इनाम में स्मृति ईरानी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। हालांकि, यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच जीत का कोई बड़ा अंतर नहीं था।
इस सीट पर भाजपा को कुल 49.71 फीसद और कांग्रेस को 43.84 फीसद वोट मिले थे। हालांकि 2014 के आम चुनाव में स्थिति एक दम उलट थी। तब राहुल गांधी ने 46.71 फीसद मत प्राप्त किए थे और स्मृति इरानी को इस चुनाव में हरा दिया था। 2009 और 2004 के चुनाव में भी राहुल गांधी ने ही इस सीट पर जीत दर्ज की थी। इससे पहले भाजपा नेता संजय सिंह भी इस सीट पर अपनी जीत दर्ज करा चुके हैं।
गांधी परिवार से बाहर के उम्मीदवार की बात करें तो अमेठी से कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 1967 में विद्याधर बाजपेयी चुनाव लड़े और अपनी जीत भी दर्ज कराई। 1971 में भी यह सीट विद्याधर बाजपेयी के पास ही रही। 1980 में संजय गांधी और 1981 में उपचुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी इस सीट पर अपनी जीत दर्ज करा चुके हैं। इसके बाद वर्ष 1991 तक लगातार राजीव गांधी इस सीट से जीतते रहे हैं।
इसके उपरांत कांग्रेस ने 1991 में हुए उपचुनाव और 1996 के चुनाव में यहां से सतीश शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा था और उन्होंने अपनी जीत दर्ज कराई थी। इसके उपरांत बदले समीकरण के बाद 1998 में इस सीट पर भाजपा नेता संजय सिंह जीते थे। इसके बाद सोनिया गांधी ने यहां से चुनाव लड़ा और संजय सिंह को एक बड़े अंतर से हराया। इस चुनाव में जीत का अंतर तीन लाख वोट से भी अधिक था।
वर्ष 1984 में राजीव गांधी के खिलाफ मेनका गांधी ने चुनाव लड़ा था
अमेठी का एक और दिलचस्प कहानी यह भी है कि यहां एक ही परिवार के दो लोग भी चुनाव मैदान में रहे हैं। ऐसा चुनावी माहौल वर्ष 1984 में देखने को मिला था। तब इस सीट पर कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को टिकट दिया था, लेकिन उनके परिवार की ही सदस्य मेनका गांधी ने भी यहां से नामांकन भरा था। इस चुनाव में मेनका गांधी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार थी। तब राजीव गांधी तीन लाख से अधिक मतों से विजयी हुई थे, जबकि मेनका गांधी को केवल 50163 मत ही प्राप्त हुए थे।