दिल्ली की सीमा पर एक साल से भी अधिक समय तक चले किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल रहे राकेश टिकैत के तेवर अभी भी सरकार को लेकर नर्म नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार गुम हो गई है और एक साल से नहीं मिल रही है। साथ ही उन्होंने पिछले दिनों अमित शाह की जाट नेताओं के साथ हुई मुलाक़ात को लेकर कहा कि ये तो तोड़फोड़ की राजनीति है।

समाचार चैनल न्यूज 24 को दिए गए एक इंटरव्यू के दौरान जब एंकर मानक गुप्ता ने किसान नेता राकेश टिकैत से सवाल पूछा कि केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान कह रहे हैं कि किसान बीजेपी के साथ ही खुश रहेगा और सपा में खुश नहीं रहेगा। इसपर राकेश टिकैत ने जवाब देते हुए कहा कि जिसको जहां वोट देना है वो देगा। साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले साल 22 जनवरी से हम भारत सरकार को तलाश कर रहे हैं और यह पता लगा रहे हैं कि भारत सरकार कहां रहती है। एक साल से हमें नहीं मिल रही है। अगर कहीं मिलती है तो हमें बताना जरूर, हम उनसे मिलना चाहते हैं।

इसके बाद जब उनसे सवाल पूछा गया कि अमित शाह ने बुधवार को जाट नेताओं की बैठक भी बुलाई थी और उसमें किसानी की भी बातें हुई है। इसपर राकेश टिकैत ने कहा कि अगर वो किसानों को बुलाते तो किसानों की बात करते। उन्होंने किसी जाति के लोगों को बुलाया है। हमें इसकी जानकारी नहीं है। कौन किस जाति को बुला रहा है, ये तोड़फोड़ की राजनीति करनी है। इनका मामला शुरू होने वाला नहीं है। किसी जाति को टारगेट पर लेकर काम करना तो उस जाति के लोगों को समझना चाहिए। ये सब लोग समझते हैं और तोड़फोड़ करने वालों से बचना चाहिए। यहां तो भाईचारे की बात चलती है और कई जातियां रहती है।   

बता दें कि बुधवार को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जाट नेताओं के साथ नई दिल्ली में मुलाक़ात की। नेताओं से मुलाकात के दौरान अमित शाह ने किसानों के मुद्दे को लेकर कहा कि उत्तर प्रदेश में हमने सत्ता में आने के बाद 36,000 करोड़ कृषि लोन जारी किया, 1,35,000 करोड़ किसानों के खाते में डाला। अगर कोई कमी रह गई है तो हम उसकी भी भरपाई करेंगे। लेकिन वोट को लेकर गलती मत कीजिए। यह ग़लती पांच साल से पहले ठीक नहीं होगी। 

अमित शाह ने जाट नेताओं से यह भी कहा कि आप लोगों ने 2014, 2017 और 2019 में हमारा साथ दिया है और इस बार भी कमल खिलाने में साथ दें। यदि कोई शिकायत है तो झगड़ा कर सकते हैं, लेकिन पार्टी से कोई नाराजगी न रखी जाए।