मध्यप्रदेश के नए सीएम के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के नाम पर मुहर लग चुकी है। कांग्रेस विधायक दल की बैठक में यह फैसला लिया गया। इससे पहले कमलनाथ और सिंधिया ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। इस बैठक में सोनिया गांधी और प्रियंका भी मौजूद थीं। बैठक में कमलनाथ के नाम पर मुहर लगी। हालांकि, इसका ऐलान भोपाल में विधायक दल की बैठक के बाद किया गया।

छिंदवाड़ा से 9 बार सांसद बने
एमपी के विधानसभा चुनाव से पहले मई 2018 में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था। वे छिंदवाड़ा से 9 बार सांसद चुने जा चुके हैं। कानपुर में जन्मे कमलनाथ कांग्रेस के उन मौजूदा नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने गांधी परिवार की तीन पीढ़ी के साथ काम किया है।

इंदिरा गांधी ने तीसरा बेटा कहा
कमलनाथ संजय गांधी के स्कूली दोस्त बताए जाते हैं। वे 1980 में पहली बार छिंदवाड़ा से सांसद बने थे। उस चुनाव में प्रचार के दौरान इंदिरा गांधी ने उन्हें अपना तीसरा बेटा कहा था।

संजय गांधी के लिए जानबूझकर जेल गए
आपातकाल के बाद 1979 में जनता पार्टी की सरकार के दौरान संजय गांधी को एक मामले में कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेज दिया। संजय की सुरक्षा को लेकर इंदिरा चिंतित थीं। कहा जाता है कि तब कमलनाथ जानबूझकर एक जज से भिड़ गए। जज ने अवमानना के चलते उन्हें भी सात दिन के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया, जहां वे संजय गांधी के साथ रहे।

25 साल पहले सीएम बनने से चूके
72 साल के कमलनाथ एमपी की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से 9 बार से सांसद हैं। वे 1980, 1985, 1989, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 में सांसद बने। 1993 में भी कमलनाथ के एमपी का मुख्यमंत्री बनने की चर्चा थी। उस वक्त अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया। इस तरह कमलनाथ 25 साल पहले सीएम बनने से चूक गए थे।

 

1997 में छिंदवाड़ा से हार गए थे कमलनाथ
1996 में कमलनाथ पर हवाला कांड का आरोप लगा थे। उस वक्त पार्टी ने उनकी पत्नी को टिकट दिया और वे चुनाव जीत गईं। हालांकि, अगले साल उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 1997 में उपचुनाव हुए थे, लेकिन कमलनाथ हार गए। उन्हें सुंदरलाल पटवा ने हराया था।

कई बार केंद्रीय मंत्री भी रहे कमलनाथ
कमलनाथ 1991 में राज्य पर्यावरण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), 1995-1996 टैक्सटाइल मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री रहे। 2001-2004 तक उन्होंने कांग्रेस के महासचिव का पद संभाला। वे 2004-2009 तक यूपीए सरकार में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे। 2009 में कमलनाथ सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री बने। 2011 में उन्हें शहरी विकास मंत्री बनाया गया। 2012 में उन्हें संसदीय कार्य मंत्री का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।