यूपी की राजनीति में गोरखनाथ मठ की अपनी एक अलग ही भूमिका है। मौजूदा दौर में यूपी की राजनीति गोरखनाथ मंदिर की चर्चा के बिना अधूरी है। ये वो मंदिर है जिसकी देखरेख योगी खुद करते रहे हैं। लेकिन फिलहाल वो यूपी के चुनाव में भाजपा की अगुवाई कर रहे हैं। मतगणना से पहले योगी गुरुवार सुबह सबसे पहले इसी मंदिर में पहुंचे और पूजा अर्चना की।
52 एकड़ में फैले गोरखनाथ मंदिर का पूर्वांचल की राजनीति में बड़ा महत्व है। कहा जाता है कि मंदिर में त्रेता युग से अखंड ज्योति जल रही है। यूपी विधानसभा चुनाव में गोरखनाथ मंदिर की चर्चा भी जरूरी हो जाती है, क्योंकि गोरखपुर में जब खुद सीएम योगी आदित्यनाथ विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।
फिलहाल ये मठ यूपी की राजनीति का केंद्र है लेकिन अरसे से गोरखपुर की सियासत में एक भी पत्ता गोरखनाथ मठ की मर्जी के बिना नहीं हिलता। इसकी कितनी अहमियत है इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि 2002 में बीजेपी ने योगी की मर्जी के बगैर उम्मीदवार तय किया तो उन्होंने हिंदू सभा के बैनर तले अपने उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतार दिया।
ये पहली बार था जब मठ खुलेआम बीजेपी के खिलाफ हिंदू महासभा के उम्मीदवार का समर्थन कर रहा था। जो बीजेपी लगातार चार बार इस सीट से जीत रही थी वो औंधे मुंह गिर पड़ी। चुनाव ने बीजेपी हाईकमान को ये संदेश दे दिया कि योगी और उनका मठ गोरखपुर की राजनीति में क्या दम रखता है।
ध्यान रहे कि उधर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब समेत 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आज आ रहे हैं। वोटों की गिनती से पहले कई नेता पूजा पाठ कर रहे हैं और अपनी जीत के लिए मन्नतें मांग रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने चुनाव परिणाम आने से पहले रोपड़ के गुरुद्वारे में जाकर माथा टेका। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने भी पूजा-अर्चना की।