बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती लंबे समय से लिखा हुआ भाषण ही पढ़ती आई हैं। शनिवार (12 जनवरी, 2019) को गठबंधन से जुड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने लिखी स्पीच ही पढ़कर सुनाई। पर उनके अलावा समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी पहली बार ऐसा करते दिखे। वह भी बार-बार कागज की ओर देखकर पत्रकारों के सामने बोले। आमतौर पर वह अपने संबोधनों में ऐसे कागजों, दस्तावेजों का इस्तेमाल नहीं करते। हालांकि, भाषण के बाद पत्रकारों से हुए सवाल-जवाब के दौरान उन्होंने किसी दस्तावेज का सहारा नहीं लिया।

बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए यूपी में सपा-बसपा के गठबंधन का आधिकारिक ऐलान लखनऊ स्थित ताज होटल में इन दोनों नेताओं की साझा कॉन्फ्रेंस में किया गया।दोनों दलों ने तय किया है कि यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से सपा-बसपा 38-38 सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी, जबकि दो सीटें छोटे दलों व दो सीटें कांग्रेस के लिए (रायबरेली व अमेठी) छोड़ दी गई हैं। बसपा सुप्रीमो ने इसके साथ ही साफ किया कि उनका ये गठबंधन आगे विधानसभा चुनाव में भी जारी रहेगा।

मायावती उस दौरान बोलीं, उनके गठबंधन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नींद उड़ जाएगी। कांग्रेस को गठबंधन में शामिल न करने पर उन्होंने बताया कि पार्टी के शासन में गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई थी। आगे सपा अध्यक्ष ने स्पष्ट किया यह सपा—बसपा का महज चुनावी गठबंधन नहीं है। यह गठबंधन बीजेपी के अत्याचार का अंत भी है। हम इससे बीजेपी के अहंकार का विनाश करेंगे।

इससे पहले, बसपा के पुराने नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। हालांकि, तब उन्होंने पहले से लिखा हुआ पर्चा नहीं पढ़ा था। संबोधन के दौरान वह धाराप्रवाह बोली थीं। उन्होंने कुछ चीजों को दोहराया था, पर उनका वह भाषण आम भाषणों से काफी अलग था।