चुनावी की तारीख घोषित होने के बाद एक के बाद एक आ रही राजनीतिक दलों की सूचियों ने चुनावी पारा चढ़ा दिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस की सूची का असर भी राज्य के राजनीतिक माहौल पर देखा जा रहा है। यहां राज्य में पार्टी के नेताओं के बगावती सुर सामने आए हैं। उधर, भारतीय जनता पार्टी इन बगावती सुरों को ही अपना चुनावी हथियार बना रही है। कांग्रेस का दावा है कि पार्टी के अंदर चल रहे किसी भी विरोध का कोई असर नहीं होगा और कांग्रेस मजबूती के साथ मध्य प्रदेश में सरकार बनाएगी।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान होना है। चुनाव कार्यक्रम का एलान होने से पहले ही सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी थी। भाजपा अब तक 136 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का एलान कर चुकी है। वहीं, विपक्षी कांग्रेस ने भी पहली सूची जारी कर दी है। नवरात्र के पहले दिन कांग्रेस ने 144 उम्मीदवारों की सूची जारी की। इसमें छिंदवाड़ा सीट से कमलनाथ और राऊ सीट से जीतू पटवारी का नाम है।
मध्य प्रदेश की सूची का आकलन करें तो इस सूची में दो मामा-भांजे, एक चाचा-भतीजे की जोड़ी को टिकट मिला है। वहीं कांग्रेस ने विधानसभा में विपक्ष के नेता डाक्टर गोविंद सिंह को भिंड जिले की लहार सीट से उम्मीदवार बनाया है तो वहीं उनके भांजे राहुल भदौरिया को टिकट दिया है। गोविंद और राहुल के साथ ही मामा-भांजे की एक और जोड़ी मैदान में है।
मध्य प्रदेश की सूची आने के बाद कांग्रेस के नेताओं की नाराजगी को लेकर पार्टी ज्यादा परेशान नही है। मामले में पार्टी के नेता कमलनाथ का साफ कहना है कि इस बार के चुनाव के लिए चार हजार लोगों ने पार्टी के पास आवेदन किया था और सभी को टिकट नहीं दिया जा सकता। किसी एक ही व्यक्ति को टिकट मिल सकती है।
पार्टी अपने सभी नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने में कामयाब होगी और सभी कांग्रेस को समर्थन करेंगे। कांग्रेस की सूची इस मायने में भाजपा से अलग है कि कांग्रेस की सूची लोकतांत्रिक है क्योंकि ये संगठन के अंतिम पायदान तक के कार्यकर्ता की सलाह को सम्मान देते हुए बनी है। इसकी दिशा लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप नीचे-से-ऊपर की ओर है।
कांग्रेस की अंदरूनी नाराजगी को सामने लाने की कोशिश
मध्य प्रदेश में टिकट की चाह रखने वाले नेताओं का नाम कांग्रेस पार्टी की सूची में नहीं मिला है। इस वजह से मध्य प्रदेश में सियासी घमासान तेज हो गया है। भाजपा इसे अपना चुनावी हथियार बना रही है। भाजपा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से भी कांग्रेस की बगावती गतिविधियों को हवा देने की कोशिश की है।
मध्य प्रदेश भाजपा के सोशल मीडिया खातों से नाराज नेताओं के इस्तीफे और उज्जैन, सागर, टीकमगढ़ व इंदौर में बगावत की खबरों को चलाया गया है। पार्टी के सोशल मीडिया खाते से हंगामे और नाराजगी की इन खबरों को चलाया जा रहा है और आम जनता के बीच कांग्रेस की अंदरूनी नाराजगी को सामने लाने की कोशिश की जा रही है।