कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम वाले दिन जब रुझाने आने शुरू ही हुए थे, तब बीजेपी नेता अपराजिता सारंगी ने कहा था, “हम कभी हारते नहीं, या तो हम जीतते हैं या फिर सीखते हैं”। कर्नाटक चुनाव परिणाम पूरी तरह से स्पष्ट होने से पहले ही बीजेपी एकबार फिर से दक्षिण भारत के लिए अपनी रणनीति को दुरुस्त करने में जुट चुकी थी। कर्नाटक दक्षिण का एकमात्र राज्य था, जहां बीजेपी सत्ता में काबिज थी।
बीते शनिवार को देर शाम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की। कहा जा यहा है कि यह मीटिंग बीजेपी के बदले हुए प्लान का हिस्सा थी और अब दोनों पार्टियां आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के चुनावों के लिए साझेदारी करने की तैयारी कर रही हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि शनिवार को लगभग घंटे भर चली बैठक में जो भी चर्चा हुई, उसे पीएम नरेंद्र मोदी से ग्रीन सिग्नल मिलने की उम्मीद है। पीएम इस सिलसिले में चंद्रबाबू नायडू के साथ मीटिंग भी कर सकते हैं।
माना जाता है कि आंध्र की लड़ाई में जगन मोहन रेड्डी टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू से आगे हैं। बीजेपी के गठबंधन को चंद्रबाबू नायडू भी अपने लिए एक मौके के रूप में देखते हैं। दूसरी तरफ भाजपा को तेलंगाना में होने वाले लाभ में अधिक दिलचस्पी मालूम पड़ती है। तेलंगाना में बीजेपी आक्रामक रूप से BRS पर निशाना साध रही है और मुख्य विपक्षी कांग्रेस पर भारी भी पड़ रही है।
बीजेपी का टीडीपी के साथ गठबंधन पवन कल्याण की जनसेना पार्टी को भी अपने साथ ला सकता है। इससे बीजेपी को दोनों राज्यों में कांग्रेस को महत्वपूर्ण रूप से कम करने में मदद मिलेगी। बीजेपी नेताओं के अनुसार, कर्नाटक में मिली हार के बाद अब बीजेपी की रणनीति है कि कांग्रेस को अब दक्षिण के किसी और राज्य में बढ़त हासिल करने से रोकना है।
बीजेपी खासतौर पर तेलंगाना में बढ़ रही है। स्थानीय निकाय चुनावों में जीत के साथ उसने राज्य की दो मुख्य पार्टियों – बीआरएस और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 1 सीट के साथ 7 फीसदी से भी कम वोट मिला था। साल 2020 में GYMC चुनाव में पार्टी को 150 में से न सिर्फ 48 वार्डों में जीत मिली जबकि उसे 35 फीसदी वोट भी हासिल हुए। हाल ही में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी बढ़ती दिखाई देती है।
साल 2018 तक टीडीपी एनडीए का हिस्सा थी। आंध्र के लिए स्पेशल स्टेटेस की मांग पर चंद्रबाबू नायडू ने अपनी राहें अलग कर लीं। उन्होंने तेलंगाना में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। हालांकि बावजूद उसके उसे विधानसभा औऱ फिर लोकसभा चुनाव में बुरी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उसके ज्यादातर नेता बीआरएस सहित अन्य पार्टियों में चले गए।
बीजेपी के सूत्र मानते हैं कि तेलंगाना में पार्टी की तरफ से टीडीपी के साथ गठजोड़ का कड़ा विरोध किया गया था लेकिन माना जाता है कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें साध लिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शीर्ष नेतृत्व ने राज्य के नेताओं को “पार्टी के बड़े लाभ के लिए ऐसी चीजों से ऊपर उठने” के लिए राजी किया।
बात अगर आंध्र प्रदेश की करें तो यहां चंद्रबाबू नायडू को सहयोगी की ज्यादा जरूरत है। अब परिणाम चाहें जो भी हो लेकिन आंध्र में बीजेपी के लिए हमेशा मौके रहेंगे क्योंकि YSRCP ने लगातार भाजपा के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध सुनिश्चित किए हैं और बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के हाव-भाव हमेशा ही जगनमोहन के लिए पॉजिटिव दिखाई दिए हैं। अब अपने अगले कदम के पू में अमित शाह और जेपी नड्डू दोनों ही इस महीने आंध्र प्रदेश जा सकते हैं। कहा जा रहा कि अमित शाह 8 जून को विशाखापटनम में और जेपी नड्डा तिरुपति में 10 जून को एक पब्लिक मीटिंग करेंगे।