लोकसभा चुनाव में सूरत सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार मुकेश दलाल को निर्वाचन आयोग ने शनिवार को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया। भाजपा के मुताबिक यह पहला मौका है, जब उनकी पार्टी का कोई उम्मीदवार निर्विरोध रूप से लोकसभा चुनाव जीता है। हालांकि, मुकेश ऐसे पहले उम्मीदवार नहीं हैं जो लोकसभा का चुनाव निर्विरोध जीते हों। अब तक हुए लोकसभा चुनावों में करीब तीन दर्जन उम्मीदवार निर्विरोध जीतकर निचले सदन में पहुंच चुके हैं।
सात दशकों में तीन दर्जन से अधिक बार ऐसा हुआ
देश के चुनावी मुकाबलों के सात दशकों में तीन दर्जन से अधिक बार ऐसा हुआ है, जब प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज होने या प्रतिद्वंद्वियों के मैदान से हटने के बाद कोई उम्मीदवार निर्विरोध जीता घोषित कर दिया गया हो। वर्ष 1951 में देश की स्वतंत्रता के बाद के पहले आम चुनाव में 10 उम्मीदवार निर्विरोध जीते थे। इसी तरह 1957 में लोकसभा चुनावों में 11 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए, 1962 में पांच, 1967 में पांच, 1971 में एक, 1977 में दो, 1984 में एक, 1989 में एक और 2012 के उपचुनाव में एक उम्मीदवार निर्विरोध जीते।
समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव भी जीत चुकी हैं
इसका सबसे ताजा उदाहरण 2012 के लोकसभा उपचुनाव में उत्तर प्रदेश के कन्नौज में डिंपल यादव की जीत है। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को कन्नौज लोकसभा सीट से निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था, क्योंकि उनके खिलाफ मैदान में उतरे दो उम्मीदवारों ने उपचुनाव के लिए अपना नामांकन वापस ले लिया था। अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने व विधान परिषद का सदस्य बनने और लोकसभा सदस्यता छोड़ने के कारण मध्यावधि चुनाव की आवश्यकता पड़ी थी।
कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने डिंपल के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं उतारे और भाजपा सदस्य अपना नामांकन पत्र दाखिल करने में विफल रहे। मैदान में बचे दो संयुक्त समाजवादी दल के दशरथ सिंह शंखवार और निर्दलीय संजू कटियार ने अपना नाम वापस ले लिया। नौ जून, 2012 को डिंपल यादव को कन्नौज सीट से निर्विरोध विजेता घोषित किया गया। डिंपल यादव से पहले आखिरी लोकसभा उम्मीदवार 1989 में निर्विरोध जीते थे।
आम चुनाव में निर्विरोध जीतने वाले राजनेताओं में 1963 में नासिक सीट से पूर्व उप प्रधानमंत्री व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री वाईबी चव्हाण और 1980 में श्रीनगर से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व नैशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला शामिल हैं। पूर्व संविधान सभा सदस्य और वित्त मंत्री टीटी कृष्णामाचारी ने 1962 में तमिलनाडु की तिरुचेंदूर लोकसभा सीट निर्विरोध जीती थी। ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री हरेकृष्ण महताब, लक्षद्वीप के पीएम सईद और नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यपाल एससी जमीर भी निर्विरोध जीते थे।