उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट से मशहूर भोजपुरी फिल्म अभिनेता रवि किशन भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। रवि किशन इन दिनों जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटे हैं, लेकिन एक ऐसी खबर आयी है, जिससे उनकी उम्मीदवारी पर ही संकट के बादल मंडरा गए हैं। दरअसल रवि किशन ने नामांकन के दौरान अपनी जो शैक्षिक योग्यता बतायी है, वह बीते लोकसभा चुनावों के नामांकन पत्र में दी गई जानकारी से भिन्न है। टीवी9 भारतवर्ष की एक खबर के अनुसार, गोरखपुर के निर्वाचन अधिकारी को शिकायत मिली है कि रवि किशन ने साल 2014 के लोकसभा चुनावों में जौनपुर से जो पर्चा भरा था, उसमें उन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता मुंबई के रिजवी कॉलेज ऑफ साइंस एंड कॉमर्स से साल 1992-93 में बी.कॉम पास दिखाई थी।

वहीं मौजूदा लोकसभा चुनावों में भोजपुरी अभिनेता ने गोरखपुर से जो पर्चा दाखिल किया है, उसमें उन्होंने अपनी शिक्षा साल 1990 में 12वीं पास बतायी है। हालांकि कॉलेज दोनों नामांकनों में समान ही है। चुनाव अधिकारियों द्वारा फिलहाल इसकी जांच की जा रही है। बता दें कि गोरखपुर भाजपा के प्रभुत्व वाली सीट मानी जाती है। साल 1989 से लेकर साल 2018 तक कोई भी पार्टी भाजपा के इस किले को नहीं भेद पायी। हालांकि बीते साल हुए उपचुनावों में भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा एक बार फिर गोरखपुर से भगवा लहराने की कोशिशों में जुटी है। माना जा रहा है कि गोरखपुर से जीत दर्ज करने का दबाव रवि किशन से ज्यादा योगी आदित्यनाथ पर है, क्योंकि लंबे समय से इस सीट पर गोरक्ष मठ का अधिकार रहा है और यही वजह है कि उपचुनाव में हार के बाद 2019 लोकसभा चुनाव काफी अहम हो गए हैं। ऐसे में यदि रवि किशन का यहां से नामांकन रद्द हो जाता है, तो यकीनन यह भाजपा के लिए खासकर योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ा झटका होगा।

उल्लेखनीय है कि रवि किशन से पहले स्मृति ईरानी को लेकर भी डिग्री विवाद हो चुका है। दरअसल स्मृति ईरानी ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अमेठी से जो नामांकन भरा है, उसमें उन्होंने जानकारी दी है कि उनकी डिग्री की पढ़ाई अधूरी रह गई थी और उन्होंने 1993 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। इसकी जानकारी मिलते ही विपक्षी पार्टियों ने उन्हें घेर लिया और दावा किया कि साल 2004 में स्मृति ईरानी ने दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। उस दौरान स्मृति ईरानी ने अपनी शैक्षिक योग्यता स्नातक बतायी थी।