Lok Sabha Election 2019: दशकों से बाढ़-सुखाड़ जैसी प्राकृतिक आपदा झेलता, उद्योग और रोजगार से कोसों दूर, रेल और उच्च शिक्षा से वंचित और पेयजल की किल्लत जैसी अनेकों समस्याओं से जूझ रहे सुपौल में 23 अप्रैल को मतदान है। लिहाजा, चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी की दुहाई देकर लोगों को इसके फायदे गिनाए और उसके बदले लोगों से वोट मांगे लेकिन मौजूदा सांसद और कांग्रेस उम्मीदवार रंजीता रंजन ने सीएम पर हमलावर रुख अख्तियार करते हुए शराबबंदी को न केवल राज्य सरकार का शुद्ध नुकसान बताया बल्कि अपनी सभाओं में यह भी कहा कि शराबबंदी सिर्फ दिखावा है। पूरे राज्य में शराब मिल रहा है, जिसका पैसा नीतीश और उनके अफसरों की जेब में जा रहा है।
शनिवार (20 अप्रैल) को रंजीता रंजन का प्रचार करने खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आए थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना तो साधा ही साथ ही स्थानीय समस्याओं का भी जिक्र किया। उन्होंने यहां की जनता को साल 2008 में आई भीषण बाढ़ की याद दिलाई और बताया कि यूपीए सरकार ने तब इलाके के लिए सौ करोड़ रुपए दिए थे मगर 2017 में प्राकृतिक प्रकोप से घिरे इस इलाके के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार ने पांच रुपए भी नहीं दिए। इसलिए पंजा पर बटन दबाकर हमारे हाथ मजबूत कीजिए।
दरअसल, यहां कांग्रेस उम्मीदवार कई मुश्किलों से घिरी हैं। राहुल गांधी की सभा में महागठबंधन के दूसरे दलों के नेताओं की मौजूदगी तो थी मगर राजद के तेजस्वी यादव नहीं थे। इनके बगल की सीट मधेपुरा से निर्दलीय लड़ रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से तेजस्वी नाराज हैं। रंजीता रंजन पप्पू यादव की पत्नी हैं। पप्पू यादव मधेपुरा में राजद उम्मीदवार शरद यादव की जीत का रोड़ा बने हुए हैं। इसी वजह से राजद नेताओं ने सुपौल सीट पर न केवल रंजीता रंजन से दूरी बना ली है बल्कि इन्हें हराने के लिए पिपरा विधानसभा के राजद विधायक यदुवंश यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश यादव को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। हालांकि, यादव कहते हैं कि उन्हें कांग्रेस से परहेज नहीं है मगर रंजीता रंजन से है। हालांकि राजेश रंजन मधेपुरा के अलावा सुपौल में भी प्रचार कर रहे हैं।
रंजीता रंजन के खिलाफ एनडीए में जदयू की तरफ से दिलकेश्वर कामत मैदान में हैं। ये दोनों दोबारा आमने-सामने हैं। पिछले चुनाव के बाद सिर्फ समीकरण बदले हैं। 2014 में रंजीता रंजन बतौर कांग्रेस उम्मीदवार 3,29,227 वोट पाकर करीब 60 हजार मतों के अंतर से जीती थीं। दूसरे स्थान पर 2,73,255 वोट लाकर दिलकेश्वर कामत रहे थे। यहां से भाजपा भी खड़ी थी। इनके उम्मीदवार कामेश्वर चौपाल 2,49,693 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार जदयू-भाजपा साथ है तो कांग्रेस उम्मीदवार को राजद से भितरघात का खतरा सामने है। 2009 में रंजीता रंजन जदयू के विश्वमोहन कुमार से एक लाख 66 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त खा गई थीं। सुपौल से तीसरी बार चुनाव लड़ रहीं रंजीता ज्यादातर महिला मतदाताओं के बीच जाकर प्रचार कर रही हैं जिनकी तादाद आठ लाख से ज्यादा है।