आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भीम आर्मी राजनीतिक दलों पर दवाब बना रही है। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने शुक्रवार (8 मार्च) को कहा कि वे सपा-बसपा गठबंधन का तब तक समर्थन नहीं करेंगे जब तक दोनों पार्टियां पदोन्नति बिल को लेकर अपना रुख साफ नहीं करतीं। यही नहीं आजाद ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नरेंद्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के बयान पर भी आपत्ति जताई। बता दें कि कुछ महीने पहले चंद्रशेखर आजाद ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सपा-बसपा के गठबंधन को अपना समर्थन देने की बात कही थी। तब उन्होंने कहा था कि उनका उद्देश्य भाजपा को हराना है।
दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए भीम आर्मी प्रमुख आजाद ने कहा, ‘अखिलेश यादव की पार्टी के सांसद ने एससी-एसटी एक्ट संबंधी बिल को फाड़ दिया और वह हमसे महागठबंधन के समर्थन की बात कर रहे हैं। हमारा समर्थन पाने के लिए उन्हें इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करना चाहिए। उन्हें स्पष्ट रुप से बताना चाहिए कि वे बिल का समर्थन करते हैं या नहीं।’
भीम आर्मी 15 मार्च को जंतर-मंतर पर एक विरोध रैली का आयोजन करने वाली है, जिसमें वह एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत किए गए बदलावों के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी। भीम आर्मी के सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक उनकी पार्टी बसपा सरकार का समर्थन करने को तैयार है। भीम आर्मी के एक नेता ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बहुजन समुदाय के उम्मीदवारों को एक कच्चा सौदा नहीं मिले और सपा हमारे अधिकारों पर अपना रुख स्पष्ट करे।
आजाद ने कहा कि उनके संगठन की लड़ाई भाजपा के खिलाफ थी और वह नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ अपने उम्मीदवारों को खड़ा करेंगे। साथ ही उन्होंने हैदराबाद के दलित छात्र रोहित वेमुला की मौत के लिए स्मृति ईरानी को भी जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था, ‘हम नरेंद्र मोदी और स्मृति ईरानी के खिलाफ एक उम्मीदवार खड़ा करेंगे। अगर विपक्ष का उम्मीदवार मजबूत होता है, तो हम उसका समर्थन करेंगे।’
सवर्णों पर दिया बड़ा बयानः सवर्णों को मिले 10 फीसदी कोटे का विरोध जताते हुए कहा, ‘सवर्णों को कोटा क्यों मिलना चाहिए? सामाजिक भेदभाव के आधार पर कोटा की कल्पना की गई थी, इसे खत्म किया जाना चाहिए। ऊंची जाति के पास पहले से ही सरकारी नौकरियों में अनुपातहीन प्रतिनिधित्व है।’ यही नहीं उनकी अन्य मांगों में मुसलमानों के लिए आरक्षण, एससी-एसटी और अल्पसंख्यकों के लिए निजी नौकरियों में आरक्षण, सेना में चमार रेजीमेंट के पुनरुद्धार आदि मसले भी शामिल हैं।