उत्तर प्रदेश में 27000 प्राइमरी स्कूलों के बंद होने की चर्चाओं को यूपी सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है। यूपी सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग की महानिदेशक कंचन वर्मा ने ऐसी खबरों का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि यूपी सरकार प्रदेश के 27000 हजार प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की योजना बना रही है, यह बातें पूरी तरह से निराधार और भ्रामक हैं। कंचन वर्मा ने यह साफ किया है कि ऐसी किसी योजना पर हमारा विभाग या हमारी सरकार काम नहीं कर रही है।
सरकार किसी स्कूल को बंद नहीं कर रही है- कंचन वर्मा
कंचन वर्मा ने एक बयान जारी कर रहा है कि ऐसी भ्रमित करने वाली बातों में लोगों को नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोई भी स्कूल बंद नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का प्राथमिक शिक्षा विभाग विद्यालयों में मानव संसाधन और आधारभूत सुविधाओं के विकास, शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने तथा छात्रों, विशेषकर बालिकाओं के, ड्राप आउट दर को कम करने के लिए सतत प्रयत्नशील है। हमारा उदेश्य शिक्षा की गुणवत्ता को और बेहतर करना है।
इस फेक जानकारी को लेकर सियासत भी हुई थी
बता दें कि यूपी में 27 हजार प्राइमरी स्कूलों के बंद होने की खबर को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई थी। कांग्रेस ने इस बात को लेकर कहा था कि भाजपा सरकार ने 27,764 प्राइमरी और जूनियर स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। यह कदम शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ दलित, पिछड़े, गरीब और वंचित तबकों के बच्चों के खिलाफ है। यूपीए सरकार शिक्षा का अधिकार कानून लाई थी जिसके तहत व्यवस्था की गई थी कि हर एक किलोमीटर की परिधि में एक प्राइमरी विद्यालय हो ताकि हर तबके के बच्चों के लिए स्कूल सुलभ हो।
वहीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा था कि प्रदेश सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का फैसला उचित नहीं है। ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहां और कैसे पढ़ेंगे। राज्य सरकार को दूसरे स्कूलों में उनका विलय करने के बजाय उनमें जरूरी सुधार करके बेहतर बनाने के उपाय करने चाहिए।