विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने अंतिम वर्ष के विश्वविद्यालय परीक्षाओं को रद्द करने वाले राज्यों के मद्देनजर कहा है कि राज्यों को ऐसा करने की अनुमति नहीं है और आयोग के पास कार्रवाई करने की शक्ति है। राज्य विश्वविद्यालयों को संशोधित दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहते हुए, यूजीसी ने कहा है कि राज्य कानूनी रूप से इसके दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक एचआरडी सचिव अमित खरे ने कहा है कि, ‘यूजीसी एक्ट (यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा 12)के अनुसार, राज्य सरकारें यह निर्णय नहीं ले सकती हैं। स्कूली शिक्षा के अतिरिक्त, जो राज्य हाईयर एजुकेशन की वर्तमान सूची में हैं। UGC और AICTE (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद) के निर्देशों को लागू किया जाना है, यह अधिनियम में है।’
दरअसल, हाल ही में दिल्ली सरकार ने राज्य के अधीन आने वाली सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के आगामी एग्जाम रद्द कर दिए थे। कोरोनावायरस महामारी के कारण दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के फाइनल ईयर एग्जाम रद्द कराने को लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखकर आग्रह भी किया है। उन्होंने कहा कि, हमारे युवाओं के लिए, मैं प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने और दिल्ली विश्वविद्यालय और अन्य केंद्रीय सरकार के विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने और भविष्य को बचाने के लिए आग्रह करता हूं।’ केजरीवार के बाद, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वे एचआरडी मंत्रालय और यूजीसी को सलाह दें कि वे COVID -19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए टर्मिनल कक्षाओं के लिए अनिवार्य परीक्षा आयोजित करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें।
Sarkari Naukri 2020: Check Latest Sarkari Job Notification Here
UGC की नई गाइडलाइंस तैयार करने वाली समीक्षा समिति ने यह निर्णय लिया था कि विश्वविद्यालयों और संस्थानों द्वारा टर्मिनल सेमेस्टर और अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अब ऑफलाइन, ऑनलाइन मोड या दोनों में सितंबर अंत तक पूरी हो जाएंगी। 06 जुलाई को हुई बैठक के बाद एक बयान में, यूजीसी ने कहा था कि ‘विश्वविद्यालयों को फाइनल ईयर की परीक्षाओं कराने की सलाह देने का निर्णय विश्व स्तर पर छात्रों की शैक्षणिक विश्वसनीयता, करियर के अवसरों और भविष्य की प्रगति सुनिश्चित करने के लिए लिया गया था। शैक्षणिक मूल्यांकन हर शिक्षा प्रणाली में एक बहुत जरूरी माइलस्टोन है। परीक्षा में प्रदर्शन छात्रों को आत्मविश्वास और संतुष्टि देता है और यह क्षमता, प्रदर्शन और विश्वसनीयता का प्रतिबिंब है जो वैश्विक स्वीकार्यता के लिए आवश्यक है।’
UGCविश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अंतिम वर्ष के विश्वविद्यालय परीक्षाओं को रद्द करने वाले राज्यों के मद्देनजर कहा है कि राज्यों को ऐसा करने की अनुमति नहीं है और आयोग के पास कार्रवाई करने की शक्ति है। राज्य विश्वविद्यालयों को संशोधित दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहते हुए, यूजीसी ने कहा है कि राज्य कानूनी रूप से इसके दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
पंजाब सरकार ने शुक्रवार को पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (PSEB) की विभिन्न कक्षाओं की लंबित परीक्षाओं को रद्द करने की भी घोषणा की है जो पहले 15 जुलाई के बाद निर्धारित की गई थीं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के फाइनल ईयर एग्जाम रद्द कराने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि, हमारे युवाओं के लिए, मैं प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने और दिल्ली विश्वविद्यालय और अन्य केंद्रीय सरकार के विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने और भविष्य को बचाने के लिए आग्रह करता हूं
अंतिम वर्ष की परीक्षाओं पर यूजीसी के दिशानिर्देश प्रकृति के लिए बाध्यकारी हैं, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, यहां तक कि चार राज्यों ने विरोध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा है।
UGC की संशोधित गाइडलाइंस के बाद से ही शिवसेना इसका विरोध कर रहा है। युवा सेना के सेक्रेटरी वरुण सरदेसाई पहले दिन से ही मोर्चा लिए हुए हैं और यूजीसी के फैसले के खिलाफ ऑनलाइन पिटिशन भी चला रहे हैं।
UGC के दिशानिर्देश के अनुसार, हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स को फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित करना अनिवार्य होगा। हालांकि, यूनिवर्सिटी/ कॉलेज ऑनलाइन माध्यम से परीक्षाएं आयोजित कर सकेंगे।
देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए भारत द्वारा देशव्यापी तालाबंदी लागू करने के बाद सभी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप परीक्षाएं भी आयोजित नहीं की जा सकीं।
पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने पत्र की तस्वीरों को ट्विटर पर भी पोस्ट किया और लिखा, 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी को सलाह देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी जी से आग्रह किया है।'
पहली और उच्चतर सेमेस्टर और ऑफलाइन (क्लास) शिक्षण के लिए 1 अक्टूबर से या राज्य सरकार / MHA / UGC के दिशानिर्देशों के अनुसार कर्नाटक सरकार द्वारा निर्देशित किया जा सकता है।
UGC के एक अधिकारी ने बताया कि "यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा 12 में, कहा गया है कि विश्वविद्यालय शिक्षा के प्रचार और समन्वय के लिए और विश्वविद्यालयों में शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों के निर्धारण और रखरखाव के लिए यूजीसी इस तरह के सभी कदम उठा सकता है।"
जबकि यूजीसी अधिकारी का कहना है कि राज्य सरकारें परीक्षाओं के होने या न होने का फैसला नहीं कर सकती हैं क्योंकि यूजीसी को परीक्षाओं के संचालन के बारे में दिशानिर्देश जारी करने का अधिकार है।
एक तरह यूजीसी और मनाव संसाधन मंत्रालय छात्रों की परीक्षाएं आयोजित कराने पर जोर दे रहा है वहीं दूसरी ओर दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA) ने यूजीसी के दिशानिर्देशों पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए इसे "complete disregard for students" बताया है।
इस के अलावा, मध्य प्रदेश जिसने पहले परीक्षाओं को रद्द कर दिया था, ने यू-टर्न लिया और कहा कि अब यह परीक्षा आयोजित करेगा, जबकि राजस्थान, हरियाणा, जिन्होंने परीक्षा रद्द कर दी है, उन्हें अभी नए यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार निर्णय लेना है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि “परीक्षा के बिना, डिग्री कोई मूल्य नहीं रखेगी और इस बैच की रोजगार क्षमता को प्रभावित करेगी। क्या हमें लोकलुभावन दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और सभी को बढ़ावा देना चाहिए या इन छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखना चाहिए?”
कम से कम पांच राज्यों - पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र और पंजाब ने यूजीसी के दिशानिर्देशों पर आपत्ति जताई है और अनुपालन करने में असमर्थता व्यक्त की है। इनमें दिल्ली पांचवां राज्य है जिसने हाल ही में यूजीसी की संशोधित गाइडलाइंस पर आपत्ति जताई है।
अंतिम वर्ष की परीक्षाओं पर यूजीसी के दिशानिर्देश प्रकृति के लिए बाध्यकारी हैं, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, यहां तक कि चार राज्यों ने विरोध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अंतिम वर्ष के विश्वविद्यालय परीक्षाओं को रद्द करने वाले राज्यों के मद्देनजर कहा है कि राज्यों को ऐसा करने की अनुमति नहीं है और आयोग के पास कार्रवाई करने की शक्ति है। राज्य विश्वविद्यालयों को संशोधित दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहते हुए, यूजीसी ने कहा है कि राज्य कानूनी रूप से इसके दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को घोषणा की थी कि दिल्ली सरकार के तहत आने वाले सभी विश्वविद्यालयों के आगामी सेमेस्टर और फाइनल परीक्षा को COVID-19 के प्रकोप के कारण रद्द कर दिया गया है।
पंजाब सरकार ने शुक्रवार को पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (PSEB) की विभिन्न कक्षाओं की लंबित परीक्षाओं को रद्द करने की भी घोषणा की है जो पहले 15 जुलाई के बाद निर्धारित की गई थीं।
पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने किया ये ट्विट
पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने पत्र की तस्वीरों को ट्विटर पर भी पोस्ट किया और लिखा, 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी को सलाह देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी जी से आग्रह किया है।'
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया था कि वे एचआरडी मंत्रालय और यूजीसी को सलाह दें कि वे COVID -19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए टर्मिनल कक्षाओं के लिए अनिवार्य परीक्षा आयोजित करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के फाइनल ईयर एग्जाम रद्द कराने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि, हमारे युवाओं के लिए, मैं प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने और दिल्ली विश्वविद्यालय और अन्य केंद्रीय सरकार के विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने और भविष्य को बचाने के लिए आग्रह करता हूं
महाराष्ट्र के उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने रविवार को कहा कि केंद्रीय मानव संसाधन विभाग मंत्रालय को कोरोनावायरस COVID-19 महामारी के प्रकोप को मद्देनजर, यूनिवर्सियों की परीक्षाएं रद्द कर देनी चाहिए।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बताया कि, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) के रद्द हुए जुलाई 2020 की परीक्षाओं का रिजल्ट मूल्यांकन योजना के आधार पर जारी किया जाएगा। NIOS की सक्षम समिति द्वारा अंतिम रूप से मूल्यांकन योजना के आधार पर घोषित किए जाएंगे।
UGC के सचिव प्रो. रजनीश जैन कहा था कि अगर हम फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षाएं नहीं कराएंगे तो इससे उनकी डिग्री की वैधता पर एक सवाल उठता है. इस वक्त परीक्षाओं को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है।
हिसलॉप कॉलेज की अंतिम वर्ष की छात्रा नेहा हुड ने कहा, “शुरुआत से, परीक्षाओं को रद्द करने के बारे में विचार-विमर्श किया गया था और अधिकांश छात्रों ने उसके लिए अपनी तैयारी कर ली थी। हमने अपने भविष्य के अध्ययन और नौकरियों के लिए योजना बनाना भी शुरू कर दिया था। अब, इस अचानक आए फैसले के साथ, हम एक बार फिर से अपने भाग्य पर उलझन में हैं। इस सब के कारण बहुत कन्फ्यूज़न हो रहा है और हमारे माता-पिता भी उतने ही चिंतित हैं। अब, हम इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि प्रतियोगी परीक्षा या प्रवेश परीक्षा जैसी हमारे भविष्य की तैयारी करें या न करें।”
यूजीसी के निर्णय के अनुसार अगर कोई छात्र इस परीक्षा में पास नहीं होता है तो उसे बाद में परीक्षा में भाग लेने का एक और अवसर दिया जाएगा। ऑफलाइन परीक्षा का मतलब छात्र कॉपी पेन से परीक्षा देंगे। अगर कोई छात्र अपनी पिछली परीक्षाएं नही दे पाया हो तो उसे पहले ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में परीक्षा देनी होगी।
पहली और उच्चतर सेमेस्टर और ऑफलाइन (क्लास) शिक्षण के लिए 1 अक्टूबर से या राज्य सरकार / MHA / UGC के दिशानिर्देशों के अनुसार कर्नाटक सरकार द्वारा निर्देशित किया जा सकता है।
राजस्थान के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी का कहना है कि इस परिस्थिति में जब कोविड-19 केस तेजी से बढ़ रहे है, ऐसे में परीक्षा कराना सही नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में अंतिम फैसला राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा ही लिया जाएगा।
जिसमें जुलाई में परीक्षाओं को कराने जैसी अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। साथ ही अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को अनिवार्य बताते हुए इन्हें सितंबर के अंत तक कराने की अनुमति दी है।
यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर के एग्जाम को लेकर अब छात्रों के समर्थन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी आ गए हैं. राहुल गांधी ने परीक्षाएं रद्द करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ये छात्रों के साथ अन्याय है.
देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कालेजों में परीक्षाओं के नहीं होने से सत्र के विलंब होने और प्रतियोगी परीक्षाओं के छूटने का खतरा पैदा हो गया है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय को एक पत्र में, उच्च शिक्षा विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, मनीष जैन ने वर्तमान COVID -19 के बीच छात्रों के शारीरिक / मानसिक कल्याण के हित में इस मामले की फिर से जांच करने का आग्रह किया है
पश्चिम बंगाल उच्च शिक्षा विभाग (WBHED) ने गुरुवार को केंद्र सरकार की सलाह पर आपत्ति जताई, जिसमें विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों को सितंबर के अंत तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए कहा गया है।
पहली और उच्चतर सेमेस्टर और ऑफलाइन (क्लास) शिक्षण के लिए 1 अक्टूबर से या राज्य सरकार / MHA / UGC के दिशानिर्देशों के अनुसार कर्नाटक सरकार द्वारा निर्देशित किया जा सकता है।
हमने देखा कि बदलती हुई कोविड-19 की परिस्थितियों और छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को देखते हुए जुलाई में अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा कराना संभव नहीं था, इसलिए 30 सिंतबर तक परीक्षा कराने की गाइडलाइंस दी गई हैं।
GC की संशोधित गाइडलाइंस के बाद महाराष्ट्र सरकार आपत्ति जता रही है। अब आदित्य ठाकरे ने एचआरडी मिनिस्टर और यूजीसी पर हमला बोला है। उन्होंने ट्विट कर लिखा कि, यूजीसी को इस छोटे से मुद्दे को अपने ईगो पर नहीं लेना चाहिए और लाखों छात्रों, शिक्षकों और नॉन टीचिंग स्टाफ की जान को खतरे में नहीं डालना चाहिए।
राजस्थान और पंजाब सरकार ने यूजीसी की एडवाइजरी सितंबर तक कॉलेज और यूनिवर्सिटी फाइनल ईयर की परीक्षा कराने का विरोध किया है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने फैसला किया है कि वो पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यूजीसी ने निर्देशों पर रिव्यू करने की मांग करेंगे।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) चाहता है कि परीक्षाएं ऑफलाइन मोड में ली जाएं या सितंबर के अंत तक ऑनलाइन ली जाएं, ताकि टर्मिनल-सेमेस्टर और अंतिम वर्ष के छात्रों के शैक्षिक हित को नुकसान न पहुंचे.