मध्य प्रदेश राज्य का गठन 1 नंवबर, 1956 को एक नए राज्य के रूप में हुआ था। इसके पहले मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल थे। जिन्होंने अपने मंत्रालय में डॉ. शंकर दयाल शर्मा को शिक्षा मंत्री का पदभार सौपा था। डॉ. शंकर दयाल शर्मा एमपी में शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा काम किया जिससे देश की राजनीति में एक भूचाल आ गया था। दरअसल डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने पहली बार ‘ग’ से गणेश की जगह स्कूलों में ‘ग’ से गधा पढ़ाए जाने पर जोर दिया था। इससे पहले भोपाल रियासत सहित विंध्य और ग्वालियर रियासत में भी ग से गणेश पढ़ाया जाता था। यही नहीं अन्य हिंदी के वर्णमाला भी हिंदू देवी देवताओं के नाम से पढ़ाए जाते थे। जिसका उन्होंने एक तरह से विरोध किया था।

धर्म निरपेक्षता को बनाया था ढाल: दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. शर्मा के शिक्षा के क्षेत्र में किए गए इस बदलाव से कांग्रेस का नेतृत्व उनसे बेहद नाराज था। यहां तक की उनके कुछ साथी भी इस बदलाव के समर्थन में नहीं थे। उनके इस निर्णय की आलोचना इतनी बढ़ गई कि इसकी आलोचना दिल्ली में भी होने लगी। डॉ. शर्मा ने इसे मुद्दे पर धर्म निरपेक्षता को अपना ढाल बनाया और सबकी बोलती बंद कर दी।

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सदन में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते थे: डॉ. शर्मा एक विद्वान व्यक्ति थे। वह अंग्रेजी के अच्छे ज्ञाता थे । यहां तक कि उस समय अपना हर आदेश वह अंग्रेजी भाषा में जारी करते थे। जब भी विधान सभा में उनसे कोई सदस्य सवाल करता था तो उसका भी जवाब वह अग्रेजी में ही दिया करते थे।

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अंग्रेजी बोलने से नाराज थे कई विधान सभा सदस्य:  इस बात से कई विधान सभा सदस्यों ने नाराजगी जताई थी। लेकिन उन्होंने इसका प्रवाह किये बिना वह लगातार अंग्रेजी भाषा प्रयोग करते रहे। उनके इस रवैये से विधान सभा के सदस्य उनसे काफी नाराज थे। इसी दौरान एक विधायक ने उनसे सवाल किया। जिसका जवाब हर बार की तरह अंग्रेजी में दे रहे थे तो सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए सदन में हंगामा कर दिया। इस घटना के बाद डॉ. शर्मा ने ‘हिंग्लिश’ में उत्तर देना शुरू कर दिया।