देशों के आपसी राजनयिक संबंध भी पहले की तुलना में काफी महत्त्वपूर्ण और अंतर्संबंधित हो गए हैं। इस कारण पूर्व की तुलना में अब एक ही देश में एक से अधिक उच्चायोग स्थापित करने के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है। शैक्षणिक संस्थाएं भी अपने यहां दाखिला देने के लिए बड़ी तादाद में विदेशी विद्यार्थियों को आकर्षित कर रही हैं।
इसके अलावा बीपीओ और केपीओ के क्षेत्र में अब भी विस्तार जारी है। इन सभी को ऐसे लोगों की जरूरत पड़ती है जो ‘मूल देश’ की भाषा के साथ साथ ‘लक्षित देश या क्षेत्र’ की भाषा में मजबूत पकड़ रखते हों। इसका उद्देश्य अपने टारगेट आॅडिएंस की शंकाओं का उनकी अपनी भाषा में समाधान उपलब्ध कराना होता है। इसके अलावा भी तमाम अन्य क्षेत्र हैं जिन्हें बड़ी तादात में दुभाषियों (इंटरप्रेटर्स) की जरूरत होती है। इस प्रकार दुभाषियों के लिए भविष्य में सरकारी और गैरसरकारी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के व्यापक अवसर हैं।
योग्यता
दुभाषिए बनने के लिए आवेदक को कम से कम दो भाषाओं के सम्यक ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है। इसके साथ अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ उम्मीदवारी को और मजबूत बना देती है। इसके लिए विद्यार्थी बारहवीं करने के बाद विदेशी भाषा में स्नातक और उसके बाद विदेशी भाषा में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर सकते हैं। इस पाठ्यक्रम के बाद कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने के मौके भी उपलब्ध हैं। हालांकि किसी भी विषय से स्नातक करने के बाद रुचि की भाषा में डिप्लोमा भी किया जा सकता है। कई देशों के दूतावास भी इस प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराती हैं।
इस क्षेत्र में मिलेगा काम
दुभाषिए या अनुवादक के लिए काम की कोई कमी नहीं है। वे इसमें अंशकालिक से लेकर पूर्णकालिक करिअर बना सकते हैं। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय, वित्त और वाणिज्य मंत्रालय, विभिन्न दूतावासों, विदेशी कंपनियों, शैक्षणिक संस्थानों व विश्वविद्यालयों, बाजार सर्वेक्षण कंपनियों आदि में ऐसे लोगों की काफी मांग होती है। अच्छे वेतन वाली नौकरी के साथ विदेशों में तैनाती के भी भरपूर अवसर मिलते हैं।
इसके अलावा दूरदर्शन, आल इंडिया रेडियो, समाचार एजंसियों और निजी टीवी चैनलों में बतौर विदेश संवाददाता कार्य करने का विकल्प भी मौजूद हंै। भारत के साथ गूढ़ संबंधों वाले देशों की भाषा जिसमें चाइनीज, अरेबिक, रशियन, जर्मन, स्पेनिश, जेपनीज, फ्रेंच, हिब्रू आदि का चयन अवसरों में काफी वृद्धि करता है।
ऐसे करें शुरुआत
पाठ्यक्रम के दौरान या पढ़ाई पूरी कर चुके युवा अपनी विशिष्टता वाली भाषा के देश यानी कि वह भाषा जिस देश में बोली जाती है, उस देश के दूतावास से संपर्क कर सकते हैं। वहां समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है और विद्यार्थियों को बतौर स्वयंसेवक काम करने का मौका प्राप्त हो सकता है। इसके अलावा छोटे-छोटे अनुवाद, वायस ओवर आदि के भुगतान आधारित कार्य प्राप्त हो सकते हैं।
इसके अलावा ऐसे प्रकाशकों से भी संपर्क किया जा सकता है जो उक्त भाषा की किताबों, साहित्यों आदि को प्रकाशित करते हैं। वहां ‘प्रूफरीडर’ का काम हासिल किया जा सकता है। स्थानीय भाषाई प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों में अंशकालिक प्रशिक्षक का कार्य भी किया जा सकता है। एक बार भाषा पर पकड़ और कुछ संपर्क स्थापित होने के बाद आगे की राहें आसान हो जाती हैं।
वेतनमान
भाषा में महारत के बाद खुद का काम शुरू कर सकते हैं और दूतावासों से संपर्क कर घर बैठे 30-40 हजार रुपए महीने तक कमाए जा सकते हैं। इसके अलावा किसी संस्थान अथवा विभाग में पूर्णकालिक नौकरी असीमित संभावनाओं के साथ आती है और अनुभव के साथ साथ आय में वृद्धि होती जाती है।
यहां से करें पढ़ाई
दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली,काशी हिंदू विश्वविद्यालय, बनारस,रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय,कोलकाता, हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद, पुणे विश्वविद्यालय, पुणे, मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई, एमिटी विश्वविद्यालय, मुबंई,
रेवा विश्वविद्यालय, बंगलुरु, आइआइटीएम, गोबिंदगढ़, मणिपाल विश्वविद्यालय, मणिपाल।
- अविनाश चंद्रा (लोकनीति के जानकार)