देश में मेडिकल शिक्षा को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने शनिवार को कहा कि पिछले 11 वर्षों में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 819 हो गई है, जो मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में पिछले अभूतपूर्व विस्तार को दर्शाता है। ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के 50वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि इसी अवधि में एमबीबीएस (स्नातक) सीटें 51,000 से बढ़कर 1.29 लाख हो गई हैं, जबकि पीजी (स्नातकोत्तर) सीटें 31,000 से बढ़कर 78,000 तक पहुंच गई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अगले पांच वर्षों में अतिरिक्त 75,000 मेडिकल सीटें जोड़ी जाएंगी।

मेडिकल कॉलेजों की संख्या पर बोलो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा

स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, “वाजपेयी जी के कार्यकाल में स्थापित 6 एम्स से बढ़कर, अब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल में भारत में कुल 23 एम्स हो गए हैं। मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है, जो 387 से बढ़कर 819 हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने अगले पाँच वर्षों में 75,000 और यूजी-पीजी सीटें जोड़ने का वादा किया है, जिनमें से पिछले डेढ़ साल में 23,000 सीटें जोड़ी जा चुकी हैं”।

स्वास्थ्य मंत्री का नए डॉक्टर्स से आह्वान

स्वास्थ्य मंत्री ने देश के मेडिकल छात्रों और संस्थानों की सराहना करते हुए कहा कि AIIMS ने चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में देश का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने नव-डॉक्टरों से आह्वान किया कि वे सहानुभूति, नैतिकता और नवाचार के साथ देश की सेवा करें।

भारत में कम हुई मातृ और नवजात मृत्यु दर

नड्डा ने बताया कि भारत ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। मातृ मृत्यु दर (MMR) 130 से घटकर 88 हो गई है, जबकि शिशु मृत्यु दर (IMR) 39 से घटकर 27 पर आ गई है। इसी तरह, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (U5MR) और नवजात मृत्यु दर (NMR) में क्रमशः 42% और 39% की कमी दर्ज की गई है, जो वैश्विक औसत से बेहतर है।

टीबी के मामलों में आई इतने प्रतिशत की गिरावट

स्वास्थ्य मंत्री ने आगे बताया कि भारत में टीबी (क्षय रोग) के मामलों में भी उल्लेखनीय कमी आई है। द लैंसेट रिपोर्ट के अनुसार, देश में टीबी की दर में 17.7% की गिरावट दर्ज की गई है, जो वैश्विक औसत (8.3%) से दोगुनी है।

अपने संबोधन के अंत में नड्डा ने छात्रों से आग्रह किया कि वे अनुसंधान और अकादमिक क्षेत्र में सक्रिय योगदान दें, AIIMS की प्रतिष्ठा को बनाए रखें और जीवनभर सीखने और समाज सेवा के भाव को जीवित रखें।