लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम के दिन ही नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानि कि एनटीए ने मेडिकल परीक्षा नीट यूजी 2024 का रिजल्ट भी जारी कर दिया। इस साल 5 मई को आयोजित हुई इस परीक्षा में करीब 24 लाख स्टूडेंट्स शामिल हुए थे जिसमें से 13.16 लाख बच्चों ने इस परीक्षा को पास कर लिया है। इसके अलावा इस साल नीट यूजी 2024 में 67 कैंडिडेट्स ने नंबर 1 रैंक हासिल की है। महाराष्ट्र के वेद सुनील कुमार शेंडे जनरल कैटेगिरी से पहले स्थान पर रहे हैं। जिन 67 उम्मीदवारों ने इस साल नीट यूजी परीक्षा में पहली रैंक हासिल की है उसमें मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले दिव्यांश का भी नाम शामिल है।
दिव्यांश को मिले 720 में से 720 मार्क्स
हरियाणा के चरखी दादरी के रहने वाले दिव्यांश ने नीट यूजी परीक्षा 2024 में पहली रैंक हासिल की है। उन्हें इस परीक्षा में 720 में से 720 मार्क्स मिले हैं। डॉक्टर बनने का सपना लेकर 17 साल के दिव्यांश अपनी मां और भाई-बहन के साथ मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए राजस्थान के कोटा चले गए थे। दिव्यांश का कहना है कि एग्जाम के बाद जब उन्होंने अपनी उत्तर पुस्तिका चेक की थी तो उन्हें ये भरोसा था कि वह ऑल इंडिया टॉपर्स की रैंक में जरूर शामिल होंगे।
पिता और चाचा की तरह सेना में जाना चाहते थे दिव्यांश
कक्षा 10वीं में 93.7 प्रतिशत मार्क्स लाने वाले दिव्यांश ने बताया है कि उनका फैमिली बैकग्राउंड आर्मी और डिफेंस वाला ही है। उनके पिता और चाचा इंडियन आर्मी में हैं और इसलिए वह भी एक समय आर्मी में ही जाना चाहते थे। दिव्यांश का कहना है कि वह एनडीए की परीक्षा देने की योजना बना रहे थे, लेकिन उनके पिता ने उन्हें डॉक्टर बनने और समाज की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया। पिता के प्रोत्साहन के बाद ही मैंने नीट यूजी की तैयारी शुरू की थी। दिव्यांश ने बताया कि अगर मैं इस परीक्षा को पास नहीं कर पाता तो या तो टीचर बनता या फिर नॉन मेडिकल फील्ड को ही चुनता।
सोशल मीडिया का नहीं किया इस्तेमाल
दिव्यांश ने अपने शेड्यूल पर बात करते हुए एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने कभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं किया और हमेशा अनुशासन का पालन किया। तैयारी के दौरान वह सुबह 8:30 बजे से दोपहर तक अपनी कोचिंग में क्लास लेने के बाद सेल्फ स्टडी भी करते थे। दिव्यांश ने बताया कि तैयारी के अंतिम चरण में उन्होंने रोजाना 10 घंटे पढ़ाई की। कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद दिव्यांश को अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन पर पूरा भरोसा था। इस परीक्षा में 720 में से 720 मार्क्स लेकर उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है।
एग्जाम से दो दिन पहले नहीं की पढ़ाई
दिव्यांश ने बताया कि इस एग्जाम से पहले उन्हें डेंगू हुआ था और फेफड़ों की बीमारी भी हुई थी। इस वजह से उन्हें 720 में से 686 मार्क्स प्राप्त किए थे, लेकिन मैंने दृढ़ संकल्प को नहीं छोड़ा। बीमारी ने मुझे और प्रोत्साहित किया। मैंने फिर नए सिरे से शुरुआत की। दिव्यांश ने बताया कि 5 मई को पेपर था, लेकिन मैंने 2 मई को ही अपना सिलेबस पूरा कर लिया था और 3-4 को मैंने पढ़ाई नहीं की। हालांकि मेरा रिवीजन करने का मन था, लेकिन मैंने खुद को समझाया कि अगर मैं कहीं पेपर से पहले सबकुछ भूल गया तो डॉक्टर नहीं बन पाऊंगा। मैंने 2 दिन आराम किया और फुटबॉल खेला।