एक स्टूडेंट के जीवन में 12वीं पास करने के बाद वाला समय काफी चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि उसके बाद करियर को सही दिशा देने के लिए स्टूडेंट्स को सही प्रोफेशन का चयन करना होता है। 12वीं साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स से करने वाले स्टूडेंट अपनी-अपनी स्ट्रीम के हिसाब से प्रोफेशन का चयन करते हैं। आर्ट्स स्ट्रीम के छात्रों को लिए विकल्प की भरमार होती है। कॉर्मस और साइंस स्ट्रीम के बच्चों के लिए सीमित फील्ड नजर आती हैं। साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंट्स 12वीं के बाद अधिकतर मेडिकल या फिर इंजीनियरिंग फील्ड चुनते हैं। उसमें भी कॉम्पिटिशन काफी टफ होता है। आज हम आपको साइंस स्ट्रीम के बच्चों के लिए एक बेहतरीन शॉर्ट टर्म डिप्लोमा कोर्स लेकर आए हैं जिसके जरिए बच्चे एक बेहतर करियर बना सकते हैं।

क्या है DMLT?

12वीं साइंस से करने वाले बच्चों के लिए पिछले कुछ सालों में डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी (DMLT) कोर्स एक अच्छा विकल्प बनकर उभरा है। यह एक पैरामेडिकल कोर्स है, जिसमें बच्चों को बीमारी का पता लगाने (Diagnosis) के लिए ब्लड, यूरीन, स्टूल, टिश्यू आदि सैंपल्स की जांच करने की ट्रेनिंग दी जाती है। इस कोर्स के बाद आप डॉक्टरों की हेल्प से डायग्नोस्टिक लैब, हॉस्पिटल या क्लिनिक में काम कर सकते हैं या फिर अपना काम भी शुरू कर सकते हैं।

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योग्यता और कोर्स की अवधि

इस कोर्स की अवधि कम से कम 1 साल होती है। हालांकि अधिकतर जगहों पर यह कोर्स 2 साल की अवधि में कराया जाता है। इस कोर्स में दाखिला लेने के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं पास (साइंस स्ट्रीम से) मांगी गई है। इसके अलावा स्टूडेंट ने 12वीं में बायोलॉजी जरूरी पढ़ी होनी चाहिए। कुछ संस्थानों ने 12वीं में न्यूनतम अंक का भी क्राइटेरिया (45-5- फीसदी) रखा हुआ है।

कोर्स में क्या सिखाया जाता है?

इस कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों को 2 साल की अवधि में कुल 8-9 विषय पढ़ाए जाते हैं। इसमें पहले साल में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई होती है। इसके बाद दूसरे साल में पैथोलॉजी, ब्लड बैंकिंग, क्लिनिकल बायोकैमिस्ट्री, हेमेटोलॉजी और लैब प्रैक्टिकल की पढ़ाई होती है। कोर्स के दौरान छात्र ब्लड टेस्ट, यूरीन टेस्ट, टिश्यू टेस्ट करना, माइक्रोस्कोप से सैंपल जांचना, लैब उपकरण (Lab Instruments) चलाना, टेस्ट रिपोर्ट बनाना और डॉक्टर को देना आदि के बारे में सीखते हैं।

कोर्स की कितनी होती है फीस?

फीस की बात करें तो आमतौर पर सरकारी कॉलेज में प्राइवेट के मुकाबले फीस कम होती है। एक अनुमान के मुताबिक, सरकारी कॉलेज में इस कोर्स की फीस 20 हजार से शुरू होकर 50 हजार रुपए तक होती है। वहीं प्राइवेट कॉलेज में 60 हजार से लेकर 2 लाख तक होती है। सरकारी कॉलेजों में एडमिशन के लिए आपको प्रवेश परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है। वहीं प्राइवेट में उनकी अपनी योग्यता के आधार पर एडमिशन लिया जाता है।

इस कोर्स को कराने वाले कुछ फेमस सरकारी कॉलेज

एम्स – दिल्ली</p>

क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी

कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल

गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, मुंबई</p>

इस कोर्स के बाद रोजगार के अवसर

इस कोर्स को करने के बाद आपके पास कई रोजगार के अवसर होंगे। आप सरकारी व प्राइवेट अस्पताल में नौकरी पा सकते हैं। पैथोलॉजी लैब, ब्लड बैंक, डायग्नोस्टिक सेंटर, रिसर्च लैब और मेडिकल कॉलेज में भी नौकरी कर सकते हैं।

कितनी होती है सैलरी?

सबसे अहम बात जो आती है वो है सैलरी की। इस कोर्स को करने के बाद आपको 15 हजार से लेकर 1 लाख रुपए प्रति माह तक की सैलरी उठा सकते हैं। शुरुआती समय में यानी फ्रेशर को 15 हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक मिल जाते वहीं जैसे जैसे अनुभव होता है आपकी सैलरी बढ़ती जाती है। इंडिया में आप ठीक-ठाक अनुभव के साथ 60 से 80 हजार रुपए तक सैलरी उठा सकते हैं। हालांकि सरकारी अस्पातल में सैलरी लाखों में जाती है। वहीं विदेश में अगर आपकी नौकरी लग जाती है तो आप 1 लाख रुपए प्रतिमाह तक कमा सकते हैं।