देश की राजधानी दिल्ली में अब कोई भी सरकारी और सहकारी स्कूल 9वीं और 10वीं कक्षा में एडमिशन लेने वाले छात्रों को स्कूल अलॉट होने के बाद एडमिशन देने से इनकार नहीं कर पाएगा। गुरुवार को दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन ने कक्षा 9वीं और 10वीं के एडमिशन से जुड़ा एक सर्कुलर जारी किया। सर्कुलर में कहा गया कि नॉन-प्लान एडमिशन प्रोसेस के तहत स्कूल अलॉट होने के बाद किसी भी छात्र को संबंधित दस्तावेजों में कमी के सिवा किसी और वजह से एडमिशन देने से इनकार नहीं किया जाएगा।
इस सर्कुलर में कहा गया है कि
शिक्षा विभाग (डीओई) के सर्कुलर में कहा गया है कि आधार या बैंक अकाउंट डिटेल न दिए जाने के कारण छात्रों को एडमिशन देने से मना किए जाने की खबरें सामने आई थीं जिसको लेकर हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि नॉन-प्लान एडमिशन प्रक्रिया के तहत स्कूल आवंटित होने के बाद उसके संबंधित डाक्यूमेंट में विसंगति पाए जाने के अलावा, किसी भी छात्र को एडमिशन देने से मना नहीं किया जाएगा।
आधार या बैंक खाता नहीं होने पर एडमिशन से नहीं किया जाएगा वंचित
सर्कुलर में कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत कक्षा 8 तक के बच्चों को पूरे एकेडमिक सेशन के दौरान उम्र के हिसाब से कक्षाओं में एडमिशन दिया जाएगा। सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि आधार या बैंक खाता न होने पर छात्रों को एडमिशन से वंचित नहीं किया जाएगा। जिन छात्रों को नॉन-प्लान एडमिसन के पिछले चक्रों के दौरान स्कूल आवंटित किए गए थे, उनके लिए एडमिशन की प्रक्रिया 16 सितंबर, 2024 तक पूरी होनी चाहिए।
इसके अलावा 8वीं-9वीं कक्षाओं में एडमिशन के मानदंड उन छात्रों पर लागू नहीं होंगे, जिन्होंने 2023-24 शैक्षणिक वर्ष के दौरान किसी मान्यता प्राप्त स्कूल या बोर्ड से पिछली कक्षा पास की है। शिक्षा निदेशालय ने सर्कुलर में इस बात पर भी जोर दिया है कि मध्यावधि परीक्षाओं के बाद ट्रांसफर से बचा जाना चाहिए, लेकिन वास्तविक मामलों में क्षेत्रीय या जिला शिकायत निवारण समिति द्वारा इसे किया जाना चाहिए।