बिहार के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक नेताओं में गिने जाने वाले नीतीश कुमार देश के उन चुनिंदा मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं, जिन्होंने विकास, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और प्रशासनिक सुधारों पर निरंतर काम किया। अपनी ईमानदार छवि और सादगीपूर्ण जीवनशैली के कारण जनता ने उन्हें “सुशासन बाबू” के नाम से सम्मानित किया। दशकों से बिहार की राजनीति के केंद्र में रहने वाले नीतीश कुमार ने राज्य को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाई है।
नीतीश कुमार 19 नवंबर, 2025 को 10वीं बार मुख्यमंत्री के तौर पर बिहार का प्रतिनिधित्व करेंगे, जो बिहार की राजनीति में एक रिकॉर्ड प्रदर्शन है। 19 नवंबर को हुई जेडीयू विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुना गया है, जो गुरुवार 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
बिहार में 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने वाले नीतीश कुमार ने पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन प्रदर्शन किया है लेकिन इसके बावजूद उनकी सादगी भरे आचरण और ईमानदार छवि की मिसालें बिहार में दी जाती हैं। तो देर न करते हुए जान लीजिए सुशासन बाबू के नाम से पहचाने जाने वाले नीतीश कुमार ने कहां तक की है पढ़ाई लिखाई।
नीतीश कुमार का बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को पटना जिला के बख्तियारपुर में हुआ। उनके पिता कविराज राम लखन सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी और आयुर्वेद चिकित्सक थे, जबकि उनकी माता परमेश्वरी देवी गृहिणी थीं। एक साधारण मध्यमवर्गीय और मूल्यों से भरे वातावरण में पले-बढ़े नीतीश कुमार के भीतर बचपन से ही अनुशासन, सरलता और जिम्मेदारी की भावना विकसित हुई, जिसने आगे चलकर उनके राजनीतिक जीवन को आकार दिया।
नीतीश कुमार का बख्तियारपुर से पटना इंजीनियरिंग कॉलेज तक का सफर
नीतीश कुमार की शुरुआती पढ़ाई बख्तियारपुर के स्थानीय विद्यालयों में हुई। संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। हाई स्कूल की शिक्षा उन्होंने श्री गणेश हाई स्कूल से पूरी की, जहां वे हर विषय में अव्वल रहते थे।
उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने प्रतिष्ठित पटना साइंस कॉलेज में दाखिला लिया। 1960 के दशक में यहां का माहौल बौद्धिक बहस और शैक्षिक सुधारों से भरा था, जिसका प्रभाव नीतीश कुमार की सोच और दृष्टि पर पड़ा।
1972 में उन्होंने बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज (अब NIT पटना) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। कॉलेज के दौरान वे तकनीकी क्लबों और प्रोजेक्ट्स में सक्रिय रहे।
नीतीश कुमार ने बीएसईबी में नौकरी के बाद किया राजनीति में प्रवेश
इंजीनियरिंग करने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में नौकरी की, जहां उन्होंने बिजली वितरण से जुड़े कई तकनीकी प्रोजेक्ट्स पर काम किया। लेकिन समाज और राजनीति के प्रति बढ़ते रुझान के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पूर्णकालिक राजनीति में प्रवेश किया।
नीतीश कुमार ने की थी जेपी आंदोलन से राजनीति की शुरुआत
नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा 1970 के दशक के जेपी आंदोलन से शुरू हुई। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सिद्धांतों से प्रभावित होकर वे छात्र और युवा राजनीति में सक्रिय हुए। 1985 में पहली बार बिहार विधानसभा के लिए चुने गए और आगे चलकर समता पार्टी व फिर जदयू) के प्रमुख नेताओं में शामिल हो गए।
नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री के रूप में उभार
नीतीश कुमार पहली बार 2000 में थोड़े समय के लिए मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2005 में उन्हें मजबूत जनादेश मिला। इसके बाद उन्होंने कानून-व्यवस्था, सड़क, बिजली, शिक्षा, शासन सुधार और महिला कल्याण जैसे क्षेत्रों में बड़े बदलाव किए। उनकी नीतियों ने बिहार को पिछड़ेपन से विकास की ओर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नीतीश कुमार के लिए 2025 बिहार विधानसभा चुनाव
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव राज्य की राजनीति में अहम मोड़ साबित हुए। दो चरणों में हुए मतदान में लगभग 67% वोटिंग दर्ज की गई। इस चुनाव में जद(यू)-भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने जबरदस्त जीत हासिल की, और 243 में से लगभग 200 से अधिक सीटें जीतकर भारी बहुमत पाया। इस परिणाम ने नीतीश कुमार की नेतृत्व क्षमता और जनता के भरोसे को फिर एक बार मजबूत किया।
नीतीश कुमार का शिक्षा और सुशासन पर निरंतर ध्यान
मुख्यमंत्री रहते हुए भी नीतीश कुमार ने शिक्षा और प्रशासनिक सुधारों को अपनी प्राथमिकता बनाए रखा। विद्यालयों में सुविधाएँ बढ़ाने, छात्रावासों, साइकिल और वर्दी योजनाओं, तथा उच्च शिक्षा को प्रोत्साहन देने वाली नीतियों ने बिहार में शिक्षा के स्तर को नई पहचान दी। वे लगातार खुद भी सीखने, वैश्विक नीतियों को समझने और उन्हें लागू करने पर जोर देते रहे।
अगर आप नीतीश कुमार के अब तक के पूरे करियर के बारे में और जानना चाहते हैं, तो नीतीश कुमार का सफर पर क्लिक करें।
