भारत में 1937 में सर दोराबजी टाटा समाज कार्य की विशेष शिक्षा का प्रारूप लेकर आए और उसे एक डिप्लोमा के रूप में बॉम्बे (आज की मुंबई) में शुरू किया। तब से लेकर लगभग 750 समाज कार्य शिक्षण केंद्र खुल चुके हैं, जहां समाज कार्य की व्यावसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है और लगभग 31,560 छात्र प्रतिवर्ष प्रशिक्षित समाज कार्यकर्ता के रूप में कार्य क्षेत्र में दाखिल होते हैं।
वर्तमान में लगभग सभी विश्वविद्यालयों में इसे पढ़ाया जा रहा है। स्नातक डिग्री को बीएसडब्लू और स्नातकोत्तर डिग्री को एमएसडब्लू कहा जाता है। वर्तमान में समाज कार्य एक उभरता हुआ क्षेत्र है जिसमें प्रशिक्षित समाज कार्य स्नातकों की बहुत अधिक आवश्यकता है।
समाज कार्य स्नातकों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की कोई कमी नहीं है।
औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार : भारत में सर्वप्रथम औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिक कल्याण कार्यों को गति देने के लिए प्रशिक्षित समाज कार्य स्नातकों का नियोजन शुरू हुआ।
कारखाना अधिनियम 1948 में प्रावधान है कि 500 से अधिक कामगारों वाले कारखानों में श्रम कल्याण अधिकारी की नियुक्ति अनिवार्य है। आजकल कार्मिक प्रबंधन व औद्योगिक संबंध, मानव संसाधन विकास व प्रबंधन, औद्योगिक विवाद निस्तारण, नैगमिक सामाजिक उत्तरदायित्व, औद्योगिक स्वास्थ्य व सामाजिक सुरक्षा आदि क्षेत्रों में भी प्रशिक्षित समाज कार्य स्नातकों को प्रमुखता के आधार पर नियोजित किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के विभिन्न संगठनों में रोजगार : संयुक्त राष्ट्र से जुड़े संगठनों जैसे यूनिसेफ, यूएनडीपी, यूएन मानवाधिकार आयोग, खाद्य एवं कृषि संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूएन आर्थिक व सामाजिक विकास आयोग, आदि प्राथमिकता के आधार पर प्रशिक्षित समाज कार्य स्नातकों को रोजगार प्रदान करते है।
अंतरराष्ट्रीय विकास सगठनों में रोजगार : आॅक्सफेम, केयर इंडिया, आगाखान फाउंडेशन, पापुलेशन इंटरनेशनल, सेव द चिल्ड्रेन, हेल्पेज इंडिया, एक्शन एड, प्लान इंडिया, वर्ल्ड विजन आॅफ इंडिया, ग्रीन पीस, वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड, वोलंटरी सर्विस आॅर्गेनाइजेशन आदि अनेक संगठन भारत में काम कर रहे है। इनके विकास एजंडा को गति देने के लिए इन्हें हमेशा ही समाज कार्य स्नातकों की आवश्यकता रहती है।
राष्ट्रीय विकास संगठनों में रोजगार : भारत में भी अनेक अच्छे संगठन काम कर रहे है जो प्राथमिकता के आधार पर समाज कार्य स्नातकों को रोजगार प्रदान करते हैं जिनमें प्रमुख हैं- सर रतन टाटा ट्रस्ट, प्रदान, प्रिया, पापुलेशन फाउंडेशन आॅफ इंडिया, प्रथम, साइट सेवर्स, क्राई, गिव फाउंडेशन, लेप्रा इंडिया, स्माइल फाउंडेशन आदि हैं।
गैर सरकारी संगठनों में रोजगार : भारत में लगभग 35 लाख गैर सरकारी संगठन कार्य कर रहे हैं। इनमें समाज कार्य स्नातकों के नियोजन की असीम संभावनाएं हैं। उदारीकरण के बाद से गैर सरकारी क्षेत्र एक प्रमुख रोजगार प्रदाता के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र में समाज कार्यकर्ताओं के लिए रोजगार की कभी कमी नहीं रहती।
सरकारी विकास योजनाओं में रोजगार के अवसर : समन्वित बाल विकास योजना, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, नेहरू युवा केंद्र, महिला समाख्या, परिवार परामर्श, आजीविका ब्यूरो, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, कल्याण अधिकारी, पुनर्वास अधिकारी आदि पदों पर समाज कार्य स्नातकों को प्राथमिकता के आधार पर नियोजित किया जाता है।
इनमें अलावा विद्यालयों, स्वास्थ्य क्षेत्र, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, सामाजिक शोध व शिक्षण में भी समाज कार्य स्नातकों के लिए रोजगार में अवसर उपलब्ध होते हैं। इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। इसमें रोजगार के साथ साथ मानसिक संतोष व आत्म गौरव का भी अहसास होता है। आजकल इसमें निजी प्रैक्टिस का भी चलन बढ़ रहा है।
-प्रमोद कुमार बाजपेयी
प्राचार्य, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, यमुना नगर
प्रमुख संस्थान
टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंसेज, मुंबई
निर्मला निकेतन स्कूल आॅफ सोशल वर्क, मुंबई
समाज कार्य विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली<br />समाज कार्य विभाग जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
समाज कार्य विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ
समाज कार्य विभाग महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी
समाज कार्य विभाग आगरा विश्वविद्यालय, आगरा
उदयपुर स्कूल आॅफ सोशल वर्क, उदयपुर
समाज कार्य संकाय बडौदा विश्वविद्यालय, वड़ोदरा
समाज कार्य विभाग गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद
मद्रास स्कूल आॅफ सोशल वर्क, चेन्नई
कर्वे इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल वर्क, पुणे