अब कारोबारी गतिविधियां धीरे-धीरे कोविड पूर्व की स्थिति में लौट रही हैं। बाजार पूरी तरह खुल गए हैं, सार्वजनिक वाहन पूरी क्षमता के साथ परिचालित हो रहे हैं। रेस्तरां, होटल, सिनेमाघरों में पहले जैसी रौनक दिखाई देने लगी है। कई जगह अब स्कूलों को भी पूरी तरह खोलने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में हवाई सेवाओं के भी पूरी क्षमता के साथ परिचालन की मांग उठ रही थी। आखिरकार नागरिक विमानन मंत्रालय ने अगले हफ्ते से घरेलू उड़ानों को पूरी क्षमता के साथ चलाने की इजाजत दे दी है।
मई में घरेलू उड़ानें शुरू की गई थीं, तब केवल तैंतीस फीसद क्षमता के साथ परिचालित हो रही थीं। फिर धीरे-धीरे उनकी क्षमता बढ़ी। फिर भी अभी तक घरेलू हवाई सेवाएं कोविड पूर्व की करीब बहत्तर फीसद क्षमता के साथ ही संचालित हो रही थीं। स्वाभाविक ही इससे विमानन कंपनियों को अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। पहले ही कोरोना के चलते काफी समय तक हवाई सेवाएं बंद रहने से इन कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था, फिर इन्हें सीमित क्षमता के साथ चलाने की इजाजत से उनके घाटे की भरपाई हो पाना कठिन बना हुआ था। अब पूरी क्षमता के साथ चलाने की इजाजत मिलने से निस्संदेह उन्हें राहत मिलेगी।
हालांकि अभी कोरोना का संकट टला नहीं है। इसका विषाणु अब भी अपना स्वरूप बदलता पाया गया है। हमारे यहां इसकी लहर काफी धीमी पड़ गई है और सब कुछ खुल जाने की वजह से लोगों को लगने लगा है कि कोरोना का खतरा खत्म हो गया है। मगर सच्चाई यह है कि अब भी रोज पंद्रह हजार से ऊपर नए मामले सामने आ रहे हैं। दो सौ से ऊपर मौतें हो रही हैं। हालांकि कुछ राज्यों में इसका प्रकोप कुछ अधिक है, पर हर शहर में कोई न कोई नया मामला रोज आ जाता है। फिर यह भी तथ्य है कि सभी नागरिकों को टीके लगाने में अभी वक्त लगेगा। बच्चों और किशोरों का टीकाकरण अभी शुरू नहीं हुआ है। दूसरी लहर के बाद बच्चों पर कोविड का असर घातक माना जा रहा है।
इसलिए अगर सारी चीजों को खोला जा रहा है तो यह आशंका बनी हुई है कि कहीं वही परिणाम फिर से न दुहरे, जो पहली लहर के बाद लापरवाही की वजह से दूसरी लहर के रूप में सामने आया था। व्यापारिक गतिविधियां रोक कर नहीं रखी जा सकतीं। कोविड के चलते अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा है, उसे उबारना चुनौती बना हुआ है। मगर यह त्योहारों का मौसम है। दशहरा और दिवाली के मौके पर बाजारों में कुछ अधिक भीड़भाड़ देखी जाती है। बहुत सारे शहरों में तो लोग मुंह-नाक ढंक कर चलना छोड़ चुके हैं।
सार्वजनिक जगहों पर बुखार नापने और हाथ सेनेटाइज करने की औपचारिकता भी नहीं निभाई जा रही। ऐसे में जब हवाई, रेल और दूसरे राज्यों से परिवहन सेवाओं को छूट दी जा रही है, तो इस बात की आशंका ज्यादा गहरी है कि लापरवाही के चलते लोग संक्रमण न फैलाएं। दो लहरों के अनुभवों से समझा जा सकता है कि किस तरह दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों ने कोरोना का संक्रमण फैलाया था। त्योहारी मौसम में कारोबार आदि के सिलसिले में लोगों की आवाजाही तेज हो जाती है, इसलिए जब बाजारों, परिवहन सेवाओं, हवाई जहाजों को पूरी क्षमता के साथ खोल दिया गया है, तो उनमें निगरानी भी बढ़ाने पर जोर होना चाहिए। सतर्कता के साथ ही इस संकट से पार पाया जा सकता है।