ओमप्रकाश ठाकुर
हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार के सत्ता में साढ़े तीन साल का अरसा पूरे होने पर प्रदेश भाजपा में विद्रोह की जो चिंगारी सुलग रही थी, वह अब ज्वाला बनने को तैयार है। हालांकि पार्टी व सरकार में ऊपर-ऊपर सब कुछ शांत नजर आ रहा है। प्रदेश भाजपा व जयराम सरकार में अब तक बहुत कुछ आलाकमान के कारण दबा हुआ था।
लेकिन नेताओं को अब 2022 के विधानसभा चुनावों में अपने राजनीतिक अस्तित्व की चिंता सताने लगी है। ऐसे में हाशिए पर रखा गया एक धड़ा तख्ता पलट तक की मुहिम छेड़ने लगा है लेकिन पार्टी का कोई बड़ा नेता इस धड़े का खुल कर अगुआ बनने को तैयार नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को तीन साल तक सरकार व संगठन ने पूरी तरह से हाशिए पर रखा था। लेकिन जब से प्रदेश भाजपा के प्रभारी अविनाश राय खन्ना बने हैं तब से संगठन में धूमल की पूछ बढ़ गई है। अब उनका खेमा चाहता है धूमल को अभी से आगे किया जाए।
विरोधी खेमे को हाल ही में हुए चार नगर निगमों के चुनावों में से दो में मिली हार के बाद अपना पक्ष आलाकमान के समक्ष रखने का मौका मिल गया। इसके अलावा प्रदेश प्रभारी और संघ ने आलाकमान को जमीनी हकीकत से रूबरू करा दिया है। पिछले दिनों इन तमाम चीजों को सामने रखते हुए आलाकमान ने मुख्यमंत्री जयराम को दिल्ली तलब किया था। विरोधी खेमा तभी से तख्तापलट की अटकलों को हवा देने में लगा है। पार्टी के एक नेता ने तो ट्विटर पर लिख भी दिया कि बड़ा बदलाव संभव है।
उधर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिल्ली से लौटने के बाद कहा कि वे यहां हैं और 2022 में यहीं रहेंगे। साफ है कि अंदरखाने क्या चल रहा है उससे वे भी अनजान नहीं है। भाजपा सांसद व प्रदेश पार्टी अध्यक्ष सुरेश कश्यप जयराम के साथ खड़े हैं लेकिन वे इस पद पर पूर्व अध्यक्ष राजीव बिंदल के इस्तीफे के बाद पहुंचे थे। समझा जा रहा है कि बिंदल को एक सोची समझी रणनीति के तहत पीपीई किट खरीद में विवादित करके उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर किया गया।
कांगड़ा से सांसद किशन कपूर का तो लंबे अरसे तक मुख्यमंत्री से संवाद तक नहीं रहा। अभी संवाद है पर वह भी औपचारिकता ही है। केंद्रीय वित राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और मुख्यमंत्री सार्वजनिक मंचों से एक-दूसरे को बहुत कुछ सुनाते रहे। उधर, प्रदेश प्रभारी खन्ना धूमल को आगे किए हुए है। वे यह अच्छी तरह समझ चुके हंै कि धूमल को हाशिए पर रखकर सत्ता की देहरी पर दोबारा पहुंचना मुश्किल है। बहरहाल, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा खुद को दूर रखे हुए हैं। हालांकि कुछ दिनों से अनुराग ठाकुर नड्डा को अपने साथ दिखाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा सरकार को बेनामी चिट्ठियों ने अलग से परेशान किया हुआ है। कहा जा रहा है कि पार्टी के भीतर से ही ऐसे पत्र बमों को फोड़ा जा रहा है। ऐसे में अब साफ है कि विद्रोह बढ़ता है या शांत होता है,पार्टी का नुकसान होना तो तय ही है।