वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) से कहा है कि औद्योगिक वृद्धि के लिए श्रम सुधार आवश्यक नहीं हैं और इन कानूनों में बदलाव सभी यूनियनों से राय लेने के बाद किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध संगठन बीएमएस ने एक बयान में यह जानकारी दी।

बयान में कहा गया है कि जेटली ने बीएमएस के प्रतिनिधिमंडल को कल बताया कि सरकार ने यह समझा है कि देश में औद्योगिक वृद्धि के लिए श्रम सुधार जरूरी नहीं हैं। वित्त मंत्री का यह बयान इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि कारोबार सुगमता के लिए पुराने कानूनों को समाप्त करने तथा श्रम सुधारों को गहनता से आगे बढ़ाने की लगातार मांग उठ रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वॉल स्ट्रीट जर्नल के साथ साक्षात्कार में कहा है कि श्रम सुधार सिर्फ उद्योग के हित में नहीं होने चाहिए। ये श्रमिकों के हित में भी होने चाहिए। बीएमएस का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को जेटली तथा मंत्रिस्तरीय समिति से श्रम सुधारों पर मिला था। हालांकि समिति ने पिछले साल ट्रेड यूनियनों की 2 सितंबर की हड़ताल के बाद 12 सूत्रीय मांगों पर विचार के लिए बैठक नहीं की है।

बीएमएस के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने कहा, ‘हम जेटली की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंल से 12 सूत्रीय मांगों पर मिले थे। उन्होंने श्रम कानूनों में सुधार पर चर्चा के दौरान यह टिप्पणी की।’