आमतौर पर लोगों में यह धारणा रही है कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है लेकिन भारत सरकार का कहना है कि उसने किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया है। खेल जगत के कई दिग्गजों ने मांग की है कि आमराय बनाकर हॉकी राष्ट्रीय खेल का दर्जा दिया जाए। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ‘इस मंत्रालय ने किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया है।’
तीन बार ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम हॉकी टीम के सदस्य रहे बलवीर सिंह सीनियर कहा कि कोई भी खिलाड़ी जो भारत का प्रतिनिधित्व करता है, वह समान सम्मान का हकदार है। ऐतिहासिक रूप से भारत को ओलंपिक में सबसे अधिक स्वर्ण पदक हॉकी में मिला है। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हॉकी का राष्ट्र निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण योगदान वह था जब उसने नए स्वतंत्र भारत को वैश्विक खेल प्रतिस्पर्धा में पहली जीत दिलायी और इसके साथ ही हमारे तिरंगे के लिए जीतने के उत्साह की समझ पनपी। बलवीर सिंह ने कहा, ‘इस तरह का भावनात्मक जुड़ाव अब कई खेलों में भी साझा हुई है जहां हम दुनिया में चैम्पियन हैं। आधिकारिक दर्जा मेरे लिए मायने नहीं रखता। हॉकी मेरे लिए पहला प्यार बना रहेगा।
पूर्व टेस्ट क्रिकेटर चेतन चौहान ने भी हॉकी को राष्ट्रीय खेल का दर्जा दिए जाने पर सहमति जताते हुए कहा,‘हॉकी ने सबसे अधिक ओलंपिक पदक दिलाए हैं। मेजर ध्यानचंद ने भारत का गौरव बढ़ाया है लिहाजा हाकी ही हकदार है। अगर इस पर सहमति नहीं बनती है तो कबड्डी को लेकिन कोशिश होनी चाहिए कि हॉकी पर ही सहमति बन जाए।’
शीर्ष शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हम्पी ने कहा, ‘इस बारे में मैं इतना कह सकती हूं कि हॉकी इस स्थान का हकदार है।’ साल 2010 के राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज मनोज कुमार ने कहा कि हमारे देश में सबसे ज्यादा ओलंपिक स्वर्ण पदक हॉकी ने ही दिलाया है। राष्ट्रीय खेल के स्थान का हॉकी ही हकदार है। कुमार ने कहा कि हॉकी ने विदेशों में भी भारत का नाम रोशन किया है और उसे तारीफ मिली है। मेजर ध्यानचंद ने हॉकी के माध्यम से भारत का गौरव बढ़ाया, इसलिए हॉकी को यह दर्जा दिया जाए।
भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि अतीत में हॉकी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा और देश को हॉकी ने कई ओलंपिक मेडल दिलाए। लेकिन हाल के कुछ वर्षो में परंपरागत खेल कुश्ती उभर कर सामने आया है। कुश्ती के माध्यम से देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी पदक मिल रहे हैं। राष्ट्रमंडल खेल हो, एशियाई खेल हो, ओलंपिक हो… हमारे पहलवानों ने देश का गौरव बढ़ाया है। ऐसे में परंपरागत खेल कुश्ती भी राष्ट्रीय खेल घोषित किए जाने योग्य है।’ दिल्ली स्थित आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय से पूछा था कि किस खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित किया गया है।