ओमप्रकाश ठाकुर
हिमाचल के मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ी इलाकों तक में इस बार गर्मी का मौसम जबरदस्त कहर बनकर टूटा है। हालांकि सैलानियों के लिए मैदानी राज्यों के मुकाबले अभी भी प्रदेश के प्रर्यटन स्थल आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इस बार यह बढ़ी गर्मी का ही आलम रहा कि बर्फ के टीले तेजी से पिघले और राज्य में बाकी सालों के मुकाबले गर्मी के इस मौसम में 90 फीसद तक बिजली का उत्पादन बढ़ गया।
गर्मी के मौसम में अमूमन बीच-बीच में बारिश हो जाती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। नतीजतन राजधानी शिमला से लेकर प्रदेश के कई इलाके, जिनमें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला मंडी का जोगिंद्रनगर भी शामिल है, पेयजल संकट से घिर गया है। सोमवार व मंगलवार की मध्यरात्रि को नगर निगम शिमला के पूर्व महापौर संजय चौहान पानी न होने से इतने परेशान हो गए कि उन्होंने प्रदेश के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह को रात को ही पानी की आपूर्ति करने की वाटसएप पर गुहार लगा दी। लोग सोशल मीडिया फेसबुक पर अपनी-अपनी दास्तां साझा कर रहे हैं।
जाहिर है राजधानी के कई इलाकों में पानी के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है। राजधानी के कई इलाकों में जहां बावड़ियां है वहां पर देर रात तक लोगों की कतारें लग रही हैं।इससे पहले राजधानी में 2018 में पीने के पानी का भीषण संकट आया था। उस समय भी गर्मी का दौर लंबा चला था। उसी तरह इस बार भी गर्मी के दौर लंबे चल रहे हैं। राजधानी में अमूमन 28 डिग्री तक पारा चढ़ जाने के बाद बारिश हो जाती थी लेकिन इस बार एक-एक सप्ताह तक पारा 29 डिग्री और उसके पार चला गया, लेकिन बारिश का नामोनिशान नहीं है। बीच में बारिश हुई भी लेकिन पारा फिर 29 डिग्री पर पहुंच गया।
भीषण गर्मी से प्रदेश की सबसे बड़ी संपति हरे जंगलों में आग की घटनाएं इस बार बाकी सालों के मुकाबले दुगुनी हो गई हैं। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस सप्ताह तक प्रदेश के जंगलों में आग लगने की घटनाएं 22 सौ के आंकड़े को पार कर गई है। पिछले साल आग की 1500से कम घटनाएं हुई थीं। कबाइली जिला किन्नौर के पांगी में पेड़ो की विलुप्त होने वाली प्रजातियों में शुमार चिलगोजा के जंगलों में भीषण आग लग गई और किलोमीटरों तक ये जंगल दो से तीन दिन तक धू-धू कर जलते रहे। प्रदेश का ऐसा कोई जिला नहीं बचा है जहां पर जंगलों में आग न लगी हो।