अ तिथि के प्रति आदर का भाव भारतीय संस्कृति की मुख्य बातों में से एक है। आज के इस बाजारवादी युग में जब हर चीज हानि-लाभ के तराजू में तोली जाने लगी है, अतिथि सम्मान भी इससे अछूता नहीं रहा है। आज अतिथि सम्मान किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के विकास में अहम भूमिका निभाने वाला उद्योग बन चुका है। भारत में तो यह तीसरा सबसे बड़ा सेवा उद्योग है। भारत सरकार में बाकायदा इसके लिए पर्यटन मंत्रालय एक नोडल एजेंसी के रूप में सक्रिय है जिसका कार्य भारत में पर्यटन उद्योग का विकास और संवर्द्धन है। इसके तहत पर्यटन में निवेश की नीतियां और कार्यक्रम बनाना और केंद्र और राज्य सरकार के पर्यटन संबंधी कार्यक्रमों आदि का समन्वय करना आता है। भारत के कुल रोजगार में भी इसका योगदान ठीकठाक है। यानी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन उद्योग का अपना एक अलग और लाभकारी महत्व है। ध्यान देने योग्य है कि पर्यटन उद्योग से होने वाले इस लाभ का एक बड़ा हिस्सा हमें विदेशी पर्यटकों से प्राप्त होता है । दर्शनीय पर्यटन स्थलों के कारण भारत की तरफ विदेशी पर्यटकों का खासा रुझान रहता है, जिससे कि भारत में विदेशी मुद्रा की बड़ी आवक होती है। ऐसे में अगर विदेशी पर्यटकों की आवक में कमी होने लगे तो यह बड़ी चिंता का विषय है। साल दर साल भारत में विदेशी पर्यटकों का आना कम होता जा रहा है। अगर इसी तरह से भारत के प्रति विदेशी पर्यटकों का लगातार मोहभंग होता रहा तो आने वाले समय में ये भारतीय पर्यटन उद्योग के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता है। इस उद्योग से रोजगार पाने वाले लोगों द्वारा इस विषय में अभी से चिंता जताई जाने लगी है कि अगर विदेशी पर्यटकों की आवक इसी तरह से घटती रही तो जल्दी ही उन्हें अपनी रोजी-रोटी के लिए किसी अन्य साधन के बारे में भी सोचना पड़ेगा। वैसे, भारत से विदेशी पर्यटकों का ये दुराव अनायास नहीं हो रहा है। कुछ समय से जिस तरह से भारत में विदेशी पर्यटकों खासकर महिला पर्यटकों के साथ लूटपाट और दुराचार की घटनाएं बढ़ी हैं, उसी के कारण भारत में विदेशी पर्यटकों के आने की घटती जा रही है।
देश के विभिन्न शहरों में ट्रैवल आॅपरेटरों से बातचीत के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि अधिकाधिक विदेशी सैलानियों द्वारा भारत आने से हिचकने के पीछे मुख्य कारण सुरक्षा के प्रति अनिश्चिंतता है। बहत्तर फीसद आपरेटरों न कहा कि हर विदेशी पर्यटक के भारत आने की पहली शर्त पुख्ता सुरक्षा होती है। 2014 में दिल्ली में एक 51 वर्षीय डेनिस महिला के साथ लूटपाट और बलात्कार की घटना हुई। 2013 में मध्य प्रदेश के दतिया में विदेशी महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की वारदात ने तो पूरी दुनिया में भारत का नाम बदनाम किया।
कुल मिलाकर तथ्य यह है कि पिछले दो-तीन सालों में विदेशी पर्यटकों के साथ होने वाले अपराधों में इजाफा हुआ है। जाहिर है कि ऐसी घटनाओं के चलते ही विदेशी पर्यटकों के मन में भारत को लेकर असुरक्षा का भाव घर करता जा रहा है, जिस कारण वे भारत भ्रमण से लगातार अपना मुंह मोड़ते जा रहे हैं। दरअसल भारत के अधिकांश पर्यटन स्थलों- जैसे, दिल्ली, आगरा, मुंबई आदि में आपराधिक घटनाओं में वृद्धि हुई है । राजधानी दिल्ली तो खैर बलात्कार के लिए कुख्यात होती जा रही है। विदेशी पर्यटकों के मन में भारत को लेकर बढ़ रहे असुरक्षा के भाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे अब भारत आते ही अपनी सुरक्षा के लिए मिर्च पाउडर रखने से लेकर बॉडीगार्ड रखने तक खुद ही तमाम तरह के इंतजाम करने लगे हैं। इन सब बातों से एक ही चीज साफ होती है कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस के प्रति विदेशी पर्यटकों के मन में पूरी तरह से अविश्वास का भाव आ चुका है, जो कि न सिर्फ हमारे पर्यटन उद्योग के लिए हानिकारक है, बल्कि दुनिया में भारत की छवि भी खराब कर रहा है। ऐसे में, हमारे पर्यटन मंत्रालय समेत राज्य सरकारों का यह दायित्व बनता है कि वे इन बातों पर गौर करते हुए हमारे विदेशी सैलानियों की सुरक्षा के लिए कुछ ठोस नीति बनाएं, जिससे कि विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा तय हो सके। देश के नागरिकों का भी यह कर्तव्य है कि वे हमारे विदेशी मेहमानों के प्रति सच्चा आदर भाव रखें और उनकी सहायता और रक्षा करने की कोशिश करें।