दिल्ली के तख्त को फतह करने की लड़ाई सिर्फ जनसभाओं में ही नहीं लड़ी जा रही है, बल्कि ताज को जीतने के लिए आप, भाजपा और कांग्रेस तीनों पार्टियों के बीच सोशल मीडिया पर एक भयंकर द्वंद्वयुद्ध लड़ा जा रहा है।

सोशल मीडिया राजनीतिक पार्टियों के लिए लोगों के बीच अपना प्रचार करने और युवा और प्रौद्योगिकी के अनुकूल मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने के लिए एक नया जंग का मैदान बन गया है।

पार्टियों ने अपने सोशल मीडिया सेल के जरिए संचार के इस माध्यम का इस्तेमाल करने वाले एक बहुत बड़े वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए बेहतरीन योजनाएं बनाई हैं। सोशल मीडिया सेल किसी भी पार्टी के अनिवार्य घटक बन गए हैं।

आप के सोशल मीडिया संयोजक अंकित लाल ने कहा, ‘‘हमारे पास दिल्ली में 16 सदस्यीय कोर टीम है जो सोशल मीडिया का संचालन करती है। अन्य 55 सदस्य पूरे देश और विदेश से इसका संचालन करते हैं। हमारे पास 200 सक्रिय स्वयंसेवक भी हैं।’’

ट्विटर पर 26 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स और फेसबुक पर एक करोड़ लाइक्स वाले इन तीन राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के बीच हैशटैग, ट्वीट, वीडियो और फेसबुक पोस्ट के माध्यम से जंग छिड़ी हुई है।

आभासी युद्ध को संचालित करने के लिए प्रत्येक पार्टी की अलग रणनीति है। भाजपा के पास एक हजार स्वंयसेवकों की सेना है जो सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों में अपने नेताओं के संदेशों का प्रचार करने में जुटे हुए हैं। दिल्ली भाजपा के संचार प्रकोष्ठ के संयोजक खेम चंद शर्मा ने कहा कि ज्यादातर स्वयं सेवक आईटी कंपनियों और बीपीओं में काम करते हैं।
उन्होंने अपने काम से दो हफ्ते की छुट्टी लेकर अपने आप को पूरी तरह से सोशल मीडिया अभियान में समर्पित कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘वे संदेश, योजनाओं और नीतियों का प्रचार करते हैं, जो भाजपा की राष्ट्रीय वेब साइट पर हैं और किरण बेदी, नरेंद्र मोदी और अमित शाह के संदेश का भी प्रचार करते हैं।’’

इंटरनेट पर राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों की भारी संख्या का प्रबंधन करने के लिए आप के पास दक्ष तंत्र है। नतीजतन आप ने फेसबुक पर 23 लाख लाइक्स और ट्वीटर पर 11 लाख से ज्यादा फोलोअर्स सृजित किए।

आप के संदेश का प्रचार करने के लिए समग्र और योजनाबद्ध कार्यपद्धति का अनुसरण किया गया। हर माध्यम की उसकी क्षमता और विशेषता से उस तक पहुंच बनाई गई। आप के लाल ने कहा कि फेसबुक प्रसारण का माध्यम है इसलिए लोगों की पहुंच कम है। बहुत ज्यादा बातचीत संभव नहीं है सिर्फ कोई सुझाव दे सकता है। ट्वीटर ज्यादा संगठित है। ट्वीटर के माध्यम से किसी चर्चा, बहस और विचार से ज्यादा अच्छे तरीके से सीधे जुड़ा जा सकता है। ट्वीटर के माध्यम से लोगों की अवधारणा को बदलना संभव है।

आप के ट्विटर की सामग्री दिन की खबर और मुद्दे होते हैं और उनके हैशटैग अन्यों दलों की तुलना में बढ़ने का कारण इनकी पार्टी के अंदर इनको मिली आजादी है। लाल ने कहा कि आप में गतिशील प्रणाली है कि यह आदेश के लिए नेतृत्व की ओर नहीं झांकते हैं। यह एक समावेशी प्रक्रिया है जहां पर पोस्ट और हैशटैग स्वयंसेवकों का फैसला होता है।

पार्टी के पास नफरत की टिप्पणियों से निपटने के लिए भी योजना है। उन्होंने कहा कि ट्विटर पर विवेकपूर्ण तर्क का उत्तर दिया जाता है और सवालों का भी जवाब दिया जाता है। तर्क से परे टिप्पणियों पर बातचीत नहीं की जाती है।

सोशल मीडिया मंच पर कांग्रेस नई है और इसको फेसबुक पर मिलने वाले लाइक्स और फॉलोनिंग (35 लाख) और ट्विटर (तीन लाख) से झलकता भी है, जबकि कांग्रेस की तुलना में उसकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी भाजपा के फेसबुक पर 73 लाख लाइक्स और ट्विटर पर 12 लाख फॉलोअर्स हैं।

डीपीसीसी की सोशल मीडिया की प्रमुख राधिका खेरा ने कहा कि इस मोर्चे पर 12 लोगों की टीम 24 घंटे और सातों दिन काम करती है और 70 स्वयंसेवक अपने घरों से करीब सात-आठ घंटे इस पर काम करते हैं। कांग्रेस का पूरा सोशल मीडिया अभियान स्वयंसेवक आधारित है। खेरा ने कहा कि दुर्भावनापूर्ण टिप्पणियां चुनाव आयोग या उन बेवसाइटों को रिपोर्ट की जाती हैं, जहां वे नजर आती हैं।