रूस और यूक्रेन के बीच पचपन दिन से जंग चल रही है। लेकिन अभी भी शांति के आसार दूर-दूर तक नजर आ नहीं रहे। बल्कि इस बात का खतरा बढ़ता जा रहा है कि रूस कहीं परमाणु हथियारों का इस्तेमाल न कर बैठे। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दे चुके हैं। हाल में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने भी यह आशंका जताईहै।
रूस परमाणु हमला भले न करे, लेकिन खतरे की तलवार तो सिर पर लटक ही गई है। आखिर जंग में कौन किसका सगा होता है! रूस इस वक्त युद्धोन्माद में है। वह जिस ताकत से यूक्रेन के शहरों और नागरिकों को रौंदे जा रहा है, उसे देखते हुए कोई भी अनुमान लगा पाना मुश्किल ही है। उसने यूक्रेन के बड़े शहरों पर मिसाइलें दाग कर उन्हें खंडहर बना डाला है। लेकिन इसके बाद भी वह यूक्रेन के सैनिकों का मनोबल नहीं तोड़ पाया। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की जिस तरह अपने रूसी समकक्ष को खुली चुनौती दे रहे हैं, वह कोई मामूली बात नहीं है। रूस इसी से परेशान है। इसीलिए वह न सिर्फ यूक्रेन को, बल्कि इसकी आड़ में अमेरिका और पश्चिमी देशों को भी सबक सिखाने पर तुला हुआ है।
ताजा खबरें बता रही हैं कि रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के मारियुपोल शहर पर एक तरह से कब्जा कर लिया है। इन पौने दो महीनों में रूसी सेना ने यूक्रेन के सैन्य ठिकानों को और हथियारों के कारखानों को तो तबाह किया ही, नागरिक ठिकानों, अस्पतालों और पनाहगाहों को भी नहीं बख्शा। लाखों यूक्रेनी नागरिक पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं। हजारों मारे जा चुके हैं। ऐसे में बेघरों की तादाद का अनुमान क्या लगाना! यूक्रेन की तबाही से जो मानवीय संकट खड़े हुए हैं, उन्हें पूरी दुनिया देख रही है। मारियुपोल शहर को रूसी सैनिकों ने बंधक बना लिया है।
वहां न खाने-पीने के सामान है, न बीमारों के लिए दवाइयां। खारकीव, ल्वीव जैसे शहरों पर हमले बदस्तूर जारी हैं। बुचा और कीव में सामूहिक जनसंहार की बात सामने आ ही चुकी है। ये सब हालात बता रहे हैं कि रूस का कहर अभी थमने वाला नहीं है। पर महत्त्वपूर्ण यह भी कि रूस शायद यूक्रेन की ताकत को आंक नहीं पाया। उसे अंदाजा नहीं रहा होगा कि वह इतने दिन युद्ध के मैदान में टिक जाएगा। यूक्रेन ने रूस की सेना को हर तरह से भारी नुकसान पहुंचा कर यह संदेश तो दे ही दिया है कि भले वह लंबे समय तक युद्ध झेल ले, पर हथियार नहीं डालेगा।
ऐसे में बार-बार यही सवाल उठ रहा है कि युद्ध कैसे रुके? रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ताओं के दौर चले, पर सब बेनतीजा रहे। जो देश मध्यस्थता का प्रयास करने का दावा कर रहे हैं, उनका भी कोई नतीजा देखने को मिला नहीं है। तमाम देश अपने-अपने हितों के हिसाब से कूटनीति आजमा रहे हैं। पर युद्ध नहीं रुक रहा। यूक्रेन असहाय है। रूसी हमलों का प्रतिकार नहीं करे तो क्या करे? हैरानी की बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक निकाय की भी कोई नहीं सुन रहा। लगता है कि इतिहास में अब तक जितने भी युद्ध हुए हैं, उनसे हमने कोई सबक नहीं सीखा। संकट यही है कि दुनिया जिन महाबली देशों से शांति प्रयासों की उम्मीद करती आई है, वही इस जंग को एक अवसर के रूप में देख रहे हैं। यह युद्ध से भी बड़ा संकट है।