क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) ने बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से रोकने के लिये उच्चतम न्यायालय का द्वार खटखटाते हुए कहा है कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों के तहत किसी मामले में आरोपी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता। सीएबी ने कहा कि ठाकुर के खिलाफ दो आरोपपत्र दायर है जिसमें से एक भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण से संबन्धित है और एक मामले में आरोप तय हो चुके हैं।
इसमें कहा गया है कि जब तक लोढ़ा समिति द्वारा की गई सिफारिशों के मामले पर फैसला नहीं आ जाता, तब तक अध्यक्ष पद का चुनाव कराना ठीक नहीं है। शशांक मनोहर के इस्तीफे के बाद बीसीसीआई का अध्यक्ष पद रिक्त है। बोर्ड में प्रशासनिक सुधारों को लेकर लोढा समिति की सिफारिशों पर न्यायालय में सुनवाई 30 जून को होनी है। सीएबी सचिव आदित्य वर्मा ने न्यायमूर्ति ए एम सप्रे और अशोक भूषण की अवकाश पीठ के समक्ष याचिका दायर की जिन्होंने इस पर तुरंत सुनवाई नहीं करते हुए कहा कि मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली नियमित पीठ इससे जुड़े मसले पर सुनवाई कर रही है।
सीएबी की ओर से अधिवक्ता विकास मेहता ने कहा कि इस पर तुरंत सुनवाई जरूरी है क्योंकि बीसीसीआई के चुनाव 22 मई को है। उन्होंने लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू करने की भी मांग की जिसके तहत किसी मामले में आरोपी व्यक्ति बीसीसीआई के पदाधिकारी का चुनाव नहीं लड़ सकता। पीठ ने सीएबी से यह मसला अवकाशकालीन रजिस्ट्रार के ध्यानार्थ रखने को कहा ताकि उसे नियमित पीठ को सौंपा जा सके।
याचिका में कहा गया, ‘यह सभी को पता है कि बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं। हमने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर यह याचिका दायर की है क्योंकि अनुराग ठाकुर के खिलाफ दो आरोपपत्र दाखिल हैं और एक मामले में आरोप भी तय हो चुके हैं।’ सीएबी ने बीसीसीआई उपाध्यक्ष को मौजूदा मामले का फैसला आने तक बीसीसीआई अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने या वैकल्पिक तौर पर एक प्रशासक की नियुक्ति करने का निर्देश देने के लिए भी कहा।