पिछले दो विश्व युद्धों के इतिहास से ज्यादातर लोग वाकिफ हैं। दो देशों के बीच शुरू हुआ टकराव कब एक युद्ध में बदल जाए, कब वह दोनों पक्षों के सहयोगी देशों के बीच फैल जाए और विश्व युद्ध की शक्ल ले ले, कहा नहीं जा सकता। विडंबना है कि अतीत के अनुभवों से सबक लेना जरूरी नहीं समझा जाता।

अमूमन हर युद्ध में इसी गलती को दोहराया जाता है। अब इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष की आग अन्य देशों की ओर भी फैलती दिखने लगी है। गौरतलब है कि हाल ही में दमिश्क में ईरान के दूतावास पर इजराइल की ओर से हमला करने की खबर आई थी। उसमें ईरान के दो जनरलों की मौत हो गई थी।

उसके बाद से ईरान ने इसे मुद्दा बनाया हुआ है और जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है। मगर अब मामला धमकियों से आगे बढ़ गया लगता है और ईरान ने जिस तेवर में जवाबी कार्रवाई की बात की है, उससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। अमेरिका ने भी ईरान के हमले की तैयारी को लेकर चेतावनी दी है।

भारत और अमेरिका सहित कई देशों ने अपने नागरिकों को सलाह दी है कि वे इस समय इजराइल और ईरान जाने से बचें। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि जो लोग अभी ईरान या इजराइल में रह रहे हैं, वे वहां के भारतीय दूतावासों से संपर्क करें और अपना पंजीकरण कराएं।

ईरान में फिलहाल लगभग चार हजार और इजराइल में साढ़े अठारह हजार भारतीय रहते हैं। मगर ईरान के तेवर तीखे होने के बाद जिस तरह युद्ध का दायरा फैलने की आशंका मंडराने लगी है, उसके मद्देनजर भारत सरकार इन दोनों देशों में रह रहे भारतीयों की संभावित निकासी के साथ-साथ अचानक पैदा होने वाली स्थितियों से निपटने की तैयारी कर रही है।

जाहिर है, अगर किन्हीं वजहों से बातचीत के जरिए स्थिति को संभाला नहीं गया, युद्ध को टाला नहीं जा सका तो फिलहाल फिलिस्तीन और इजराइल के बीच चल रहे जंग का दायरा चिंताजनक स्तर तक फैल जा सकता है। इसलिए भारत या अन्य देशों का अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए समय रहते कदम उठाना जरूरी है।