UP Crime Rate Hike: उत्तर प्रदेश सरकार आए दिन यह दावा करने में कोई संकोच नहीं करती कि उसने राज्य में अपराध और अपराधियों को खत्म कर दिया है। मगर राज्य के अलग-अलग इलाकों से जिस तरह लगातार जघन्य वारदात की खबरें आती हैं, वे यह बताने के लिए काफी हैं कि सरकारी दावों की हकीकत क्या है।

ज्यादा चिंता की बात यह है कि अपराधों का दायरा फैलते हुए अब नाबालिगों या किशोरों को भी चपेट में ले रहा है। गौरतलब है कि राज्य के गोरखपुर जिले में कोआपरेटिव इंटर कालेज के परिसर में शुक्रवार को तीन हमलावर घुसे और उन्होंने ग्यारहवीं के एक छात्र की गोली मार कर हत्या कर दी। परिसर में जब छात्र इकट्ठा होने लगे, तो तीनों हमलावर तमंचा लहराते हुए भाग निकले।

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खबरों के मुताबिक, सोशल मीडिया पर टिप्पणियों की वजह से उनके बीच विवाद हुआ था और इसी वजह से तीन ने मिल कर एक छात्र की हत्या कर दी। एकबारगी यह कल्पना से बाहर की बात लगती है कि स्कूल परिसर में हुए इस जघन्य अपराध में पीड़ित और हमलावर, दोनों ही किशोर हैं, लेकिन यह घटना एक सच्चाई है, जो सबके लिए चिंता की बात होनी चाहिए।

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पिछले कई वर्षों से उत्तर प्रदेश की सरकार अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में इसी बात को जोर-शोर से प्रचारित करती है कि उसके उठाए कदमों की वजह से अब राज्य में अपराधियों के पांव कांपते हैं और अपराध पर पूरा नियंत्रण हो गया है। मगर हालत यह है कि राष्ट्रीय अपराध रेकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों में हत्या जैसे जघन्य अपराधों के अलावा महिलाओं और दलितों के खिलाफ आपराधिक घटनाओं के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है।

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ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि एक ओर सरकार अपराध खत्म करने के दावे करती रही और दूसरी ओर आपराधिक घटनाओं का दायरा फैलता गया। प्रचार के बरक्स अपराध की तस्वीर यही बताती है कि राज्य में कानून-व्यवस्था लचर स्थिति में है और आपराधिक मानसिकता वाले लोग बेखौफ दिखते हैं।

सवाल है कि अगर अपराध के पांव नाबालिगों या किशोरों के बीच भी फैल रहे हैं तो आने वाले वक्त में इसका सामाजिक असर क्या होगा और उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?

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