लंबे समय से बहुत सारे मोबाइल उपभोक्ताओं की यह शिकायत रही है कि उनके पास अनजान नंबरों से फोन आते हैं और या तो उन्हें नाहक खरीदारी के जाल में उलझाने की कोशिश की जाती है या फिर किसी चीज का प्रचार किया जाता है। इसके अलावा, पिछले कुछ समय से डिजिटल फर्जीवाड़ा और ठगी के मामले भी तेजी से सामने आने लगे हैं और इसके लिए भी अनजान नंबरों से किसी को फोन किया जाता है।

सच यह है कि सिर्फ अवांछित काल के रूप में दिखने वाली यह समस्या अब बहुत ज्यादा जटिल हो चुकी है। खासतौर पर स्मार्टफोन के उपभोक्ताओं को जिस तरह साइबर ठगी और फर्जीवाड़े का शिकार बनाया जाने लगा है, उसका दायरा अब बहुत बड़ा हो चुका है।

इसलिए अगर इस तरह की ठगी या उपभोक्ताओं को नाहक ही परेशान करने वालों के खिलाफ भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राइ ने सख्त कदम उठाया है, तो यह स्वागतयोग्य है। मगर ट्राइ को यह देखने की जरूरत है कि इस समस्या के तार कहां जुड़े हो सकते हैं और इस संबंध में और क्या करने की जरूरत है।

गौरतलब है कि ‘स्पैम’ और गैरजरूरी व्यावसायिक फोन या धोखाधड़ी करने वाले फोन काल पर रोक लगाने के उद्देश्य से ट्राइ ने पिछले एक वर्ष में लगातार कार्रवाई की है और अब तक इक्कीस लाख मोबाइल नंबरों को बंद कर दिया है या काली सूची में डाला है।

इस तरह के कदम की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी। मगर यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि आजकल फोन के जरिए फर्जीवाड़ा या ठगी करने वाले या फिर अपने कारोबार को विस्तार देने के लिए मोबाइल उपभोक्ताओं के पास अवांछित काल करने वाले लोगों ने संगठित तौर पर नए-नए विकल्प निकालने शुरू कर दिए हैं।

ऐसे मामले अक्सर सामने आते हैं, जिनमें किसी व्यक्ति ने परेशान होकर एक नंबर को ब्लाक कर दिया, लेकिन फिर अन्य नंबर से उसी तरह के फोन आने शुरू हो जाते हैं।

इसलिए अब कोई ऐसा तकनीकी ढांचा तैयार करने की जरूरत है, जिसमें आम लोगों को किसी वस्तु के प्रचार या अन्य मकसद से किए जाने वाले अवांछित फोन से लेकर डिजिटल ठगी, धोखाधड़ी या भयादोहन और साइबर अपराधियों के जाल से बचाया जा सके।