अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने के बाद भारत के साथ उसके रिश्तों में दूरी आ गई है। मगर अब अफगानिस्तान ने फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। वहां के कार्यवाहक विदेशमंत्री ने मानवीय सहायता के लिए भारत का आभार जताते हुए कहा कि वे अर्थव्यवस्था केंद्रित विदेश नीति के अनुरूप राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं। उन्होंने अपील की कि भारत व्यापारियों, रोगियों और विद्यार्थियों के लिए वीजा जारी करना शुरू करे। उनकी अपील पर भारत ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। दरअसल, भारत भी चाहता है कि अफगानिस्तान के साथ उसके रिश्ते फिर से मजबूत हों।

उसके साथ व्यापारिक गतिविधियां बढ़ें और परियोजनाओं पर काम शुरू हो। मगर चूंकि वहां तालिबान के सत्ता में आने के बाद दुनिया के अनेक देशों ने उस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए और तालिबान के सत्ता हथियाने के तरीके को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध माना गया, इसलिए भारत ने भी स्वाभाविक ही उससे दूरी बना ली। हालांकि जरूरत के वक्त भारत उसे मानवीय सहायता प्रदान करता रहा है। मगर अफगानी छात्रों के लिए वीजा जारी करने संबंधी फैसले को लेकर काफी समय से मंथन चल रहा है। इसलिए इस पर भारत के लिए विचार करना मुश्किल नहीं है। दरअसल, वीजा न मिल पाने के कारण भारत में पढ़ रहे बड़ी संख्या में अफगानी छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

अफगानिस्तान व्यापारिक रूप से भारत का एक बड़ा सहयोगी पड़ोसी रहा है। भारतीय कंपनियां वहां की विकास परियोजनाओं में लगी रही हैं। इस तरह, तालिबान के सत्ता में आने के बाद बनी दूरी से दोनों देशों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। दुनिया के कई देश अपने रणनीतिक लाभ के लिए अफगानिस्तान के साथ रिश्ते फिर से बहाल कर लिए हैं। ऐसे में, भारत के लिए बहुत देर तक दूरी बनाए रखना भी ठीक नहीं समझा जा रहा। सार्क समूह के विखंडित होने के बाद उपजी स्थितियों का लाभ चीन उठाने का प्रयास कर रहा है। इसलिए भी अफगानिस्तान से भारत की नजदीकी रणनीतिक दृष्टि से जरूरी है। अफगानिस्तान भारत के लिए एक बड़ा बाजार है, इसलिए आर्थिक रणनीति के तहत उसे खोना नहीं चाहिए। यही वजह है कि भारत ने कहा है कि वह अफगानिस्तान के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते बहाल और मजबूत करने पर विचार कर रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत को अफगानिस्तान से काफी कारोबार मिलता है। हर वर्ष करीब तेरह हजार विद्यार्थी वहां से आते हैं। इसी तरह बहुत सारे रोगी यहां के अस्पतालों में इलाज के लिए आते हैं।

भारत वैसे भी शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को विस्तृत करना चाहता है। साथ ही स्वास्थ्य पर्यटन संबंधी योजनाओं को प्रश्रय देता है। अफगानिस्तान से आने वाले विद्यार्थियों और रोगियों को रोकना उसके लिए फायदेमंद नहीं कहा जा सकता। यह ठीक है कि तालिबान के कई फैसले और नीतियां लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप नहीं कही जा सकतीं। मगर फिलहाल वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाली के आसार नजर नहीं आ रहे, तो इसी बीच कोई सकारात्मक रास्ता तो निकालना पड़ेगा। जो अफगानी छात्र 2021 से वीजा न मिलने के कारण अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे, उनके भविष्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। वे बार-बार मांग करते रहे हैं कि उन्हें वीजा जारी किया जाए। अफगानी विदेशमंत्री की अपील पर भारत सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाया है, जो रणनीतिक रूप से एक अच्छा संकेत है।