भारत और बांग्लादेश के बीच गुरुवार को हुआ शिखर सम्मेलन कई अर्थों में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है। पिछले कुछ समय से दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत और बांग्लादेश भी कोरोना वायरस की चुनौती से जूझ रहे हैं। इस क्रम में वैश्विक कूटनीति के मोर्चे पर बहुत सारे ऐसे कामों को टालने की नौबत आई, जो सामान्य स्थितियों में काफी आगे बढ़ चुके होते।

अच्छा यह है कि भारत और बांग्लादेश ने कोरोना से निपटने के लिए समूचे तंत्र की सक्रियता के समांतर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और आर्थिक रूप से बेहतरी के दिन की उम्मीद में भी अपने कदम आगे बढ़ाए। चूंकि दुनिया भर में कोरोना को लेकर कई तरह की बाध्यकारी परिस्थितियां पैदा हुई हैं और दूसरे देशों में आवाजाही फिलहाल सहज नहीं हो सकी है, इसलिए दोनों देशों के बीच हुए शिखर सम्मेलन को डिजिटल मंच पर आयोजित किया गया।

इस दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच रेल लाइन का उद्घाटन हुआ। यों विदेशी मामलों की कसौटी पर भारत के लिए बांग्लादेश पहले भी प्राथमिकता में ऊपर रहा है, लेकिन इस बात का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट उल्लेख भी किया कि बांग्लादेश हमारी ‘पड़ोस प्रथम’ नीति का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है।

करीब साढ़े पांच दशक के बाद चिलाहाटी-हल्दीबाड़ी रेल लाइन का उद्घाटन अपने आप में बेहतर होते संबंध और सुधरती तस्वीर का संकेत है। साथ ही 1965 से पहले जारी छह रेल संपर्क को भी पुनर्जीवित करने के लिए भी सहमति बनी है। इसके अलावा, हाइड्रोकार्बन, कृषि, कपड़ा, सामुदायिक विकास, हाथी संरक्षण और कचरा निपटान से संबंधित कुल सात समझौते भी हुए। यानी ताजा शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच भविष्य में सहयोग के बेहतर अवसरों के साथ-साथ मजबूत संबंध की जमीन को और पुख्ता किया गया।

इसमें हुए समझौते यह बताने के लिए काफी हैं कि सहयोग का दायरा काफी व्यापक होगा और इसका असर पड़ोसी देश के रूप में भारत और बांग्लादेश के राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों के साथ-साथ भावनात्मक जुड़ाव पर भी दिखेगा। इस लिहाज से देखें तो महात्मा गांधी और बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की डिजिटल प्रदर्शनी का महत्त्व किसी औपचारिक आयोजन से काफी ज्यादा है। सभी जानते हैं कि भारत में महात्मा गांधी और बांग्लादेश में शेख मुजीबुर्रहमान को किस रूप में देखा-जाना जाता है और लोगों के दिलों में इनकी जगह किस रूप में है। आज भी ये दोनों शख्सियत न केवल अपने-अपने देशों और अंतरराष्ट्रीय दायरे में एक अहम प्रतीक हैं, बल्कि सबको प्रेरित करते हैं।

जिस दौर में विश्व के अनेक देशों के बीच संबंध और ध्रुव नए तरीके से परिभाषित हो रहे हैं, उसमें पड़ोसी देश को लेकर भारत का रुख काफी मायने रखता है। खासतौर पर जब दुनिया कोरोना महामारी की वजह से कई तरह की जटिलताओं से घिरी है, उसमें भारत और बांग्लादेश करीब आए हैं। यह एक जगजाहिर तथ्य है कि बांग्लादेश के निर्माण में भारत की क्या भूमिका रही है। लेकिन भारत ने कभी भी इस नाते अपना पक्ष बांग्लादेश पर थोपने की कोशिश नहीं की और एक अच्छे पड़ोसी और मित्र देश के रूप में उसके साथ खड़ा रहा है।

बांग्लादेश भी इसकी अपेक्षित कद्र करता है। इसकी झलक भी इस शिखर सम्मेलन में दिखी, जब प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत के सहयोगपूर्ण रुख की तारीफ की, 1971 की जंग में शहीद हुए भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि दी और बांग्लादेश की मुक्ति में समर्थन के लिए भारत के प्रति आभार व्यक्त किया। उम्मीद की जानी चाहिए कि विपरीत परिस्थितियों में भी संबंधों को सहज बनाए रखने वाले दोनों पड़ोसी देश भविष्य को और बेहतर बनाएंगे।