ऐसा तब है जब सरकार की ओर से समूचे इलाके में आतंकवाद से मोर्चा लेने के लिए हर स्तर पर चौकसी बरती जा रही है और अक्सर सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आतंकवादी मारे भी जा रहे हैं। इसके बावजूद आतंकियों ने जिस तरह डर का माहौल बनाए रखने के लिए निर्दोष लोगों पर हमला जारी रखा है, उससे साफ है कि वहां सुरक्षा व्यवस्था को और ज्यादा बेहतर करने की जरूरत है।
गौरतलब है कि रविवार को जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती राजौरी जिले के एक गांव डांगरी में दो आतंकवादियों ने कुछ घरों को निशाना बना कर अंधाधुंध गोलीबारी की। इस हमले में हिंदू परिवारों के चार लोगों की मौत हो गई और सात अन्य बुरी तरह घायल हो गए। जिन घरों पर हमला हुआ था, उनमें से ही एक में सोमवार की सुबह भी विस्फोट हुआ, जिसमें दो बच्चियों की जान चली गई और चार हताहत हुए।
जम्मू-कश्मीर में लक्षित हमलों का जो नया सिलसिला शुरू हुआ है, ताजा घटना उसकी एक कड़ी भर है। लेकिन यह समझा जा सकता है कि वहां अब आतंक का स्वरूप बदल रहा है। आतंकवादी अब अंधाधुंध गोलीबारी करते हैं, लेकिन उनके लक्ष्य तय होते हैं। यही वजह है कि बीते कुछ महीनों में जितने भी आतंकी हमलों की खबरें आई हैं, उनमें मरने वाले ज्यादातर लोग या तो बाहरी राज्यों से वहां जाकर रोजी-रोजगार में लगे थे या वहीं उनकी सामुदायिक पहचान स्पष्ट थी।
जाहिर है, आतंक फैलाने के मकसद से किसी को भी मार डालने से जब आतंकवादी गिरोहों की मंशा पूरी होनी बंद हो गई, तब उन्होंने अपने निशाने बदल लिए, ताकि ऐसे हमलों के जरिए लोगों को मारने के साथ-साथ अपनी मौजूदगी की ओर ध्यान खींचने का दोहरा मकसद हासिल किया जा सके। इस रणनीति से एक ओर जहां वे देश की सरकार के सामने नई मुश्किलें पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं आम लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बनाना चाहते हैं।
हालांकि ऐसे वक्त में भी सुरक्षाबलों ने जिस स्तर की चौकसी बरती है, अनेक आतंकियों को मुठभेड़ों में मार गिराया है, उससे उम्मीद बंधती है कि आने वाले दिनों में ऐसे आतंकवादियों पर भी शिकंजा कसा जा सकेगा। लेकिन सच यह भी है कि जम्मू-कश्मीर को एक अस्थिर और हिंसाग्रस्त इलाका बनाए रखने के लिए आतंकी संगठन और उनके संरक्षक लगातार ऐसे हमलों को अंजाम देते रहना चाहते हैं।
यह अब कोई छिपा तथ्य नहीं है कि सीमा पार स्थित ठिकानों से आतंकी संगठन अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं और यह उस देश में उन्हें मिले उच्च स्तरीय संरक्षण के बिना लगातार संभव नहीं हो सकता। इस मसले पर भारत वैश्विक मंचों पर हमेशा आवाज उठाता रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान को इस बात के लिए कठघरे में खड़ा किया जा चुका है कि वह आतंकवादी संगठनों को पनाह और अपने सीमाक्षेत्र से गतिविधियां संचालित करने की सुविधा देता है।
इसके बावजूद पाकिस्तान ऐसे स्पष्ट आरोपों को भटकाने का काम करता रहता है। यही वजह है कि एक मजबूत संरक्षक होने के आश्वासन पर आतंकवादी भारत में और खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में नाहक ही लोगों की हत्या कर अपना आतंक-राज कायम रखना चाहते हैं। अब जरूरत इस बात की है कि सरकार ऐसे हमलों को पूरी तरह रोकने के लिए नई रणनीति बनाए और किसी भी तरह की कोताही न बरते।