इसलिए सरकारों की कामयाबी या नाकामी नापने का एक पैमाना कानून-व्यवस्था भी होता है। पंजाब सरकार इस पैमाने पर सफल नजर नहीं आ रही। जबसे वहां आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, आपराधिक घटनाओं में तेजी आई है। यहां तक कि जो संगठित अपराध लगभग शांत पड़ चुके थे, वे भी सिर उठाने लगे हैं।
पिछले कुछ महीनों में पंजाब के दो थानों पर राकेट लांचर से हमले हो गए। बेअदबी और आपसी रंजिश को लेकर कई हत्याएं हो गर्इं। इनमें से कई घटनाओं के तार विदेश से संचालित हो रहे गिरोहों से जुड़े पाए गए हैं। फिर नशे के कारोबार पर अब तक लगाम नहीं लग रही है। पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पंजाब की हर गली में नकली शराब की भट्ठियां चल रही हैं। युवाओं की जिंदगी के साथ खिलवाड़ चल रहा है। इसे रोकने से संबंधित तैयारियों पर अदालत ने राज्य सरकार से हलफनामा मांगा था। छिपी बात नहीं है कि नशे के कारोबार और संगठित अपराध का प्राय: परस्पर जुड़ाव होता है।
अभी मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास परिसर में बम रखा पाया गया। गनीमत है कि समय रहते सुरक्षा कर्मियों की उस पर नजर पड़ गई और उसे निष्क्रिय कर दिया गया। जहां बम रखा था, वहां से मुख्यमंत्री का हेलिकाप्टर उड़ता-उतरता है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास के नजदीक ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का भी आवास है। जाहिर है, उस इलाके में कड़ी सुरक्षा के इंतजाम हैं।
कोई भी व्यक्ति, वाहन आदि बिना सुरक्षा जांच के अंदर प्रवेश नहीं करते होंगे। फिर कैसे बम मुख्यमंत्री आवास परिसर में हेलीपैड के पास तक पहुंच गया। जब मुख्यमंत्री आवास में सुरक्षा को लेकर ऐसी लापरवाही देखी जा रही है, तो बाकी जगहों पर क्या हालत होगी, अंदाजा लगाया जा सकता है। सामान्य तौर पर समझा जा सकता है कि वह बम बिना सुरक्षा कर्मियों की मिली भगत के अंदर नहीं पहुंचा होगा। इस घटना से पिछले कुछ महीने में हुई घटनाओं को जोड़ कर देखें तो स्पष्ट है कि उनमें भी सुरक्षा-व्यवस्था में ढील देखी गई। इससे यही संकेत मिलता है कि सुरक्षा के मामले में जैसी चौकसी होनी चाहिए, सरकार वह कर पाने में विफल है।
पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने मुख्य रूप से दो मुद्दे उठाए और उन्हें दुरुस्त करने का दावा किया था। एक, नशे के जाल को खत्म करना और दूसरा, कानून-व्यवस्था को चाक-चौबंद करना। यह ठीक है कि कोई भी सरकार एकदम से किसी व्यवस्था को दुरुस्त नहीं कर सकती। मगर अब तो सरकार को काम करते करीब नौ महीने हो गए। अब तक कानून-व्यवस्था नहीं संभल पाई है, तो यह सरकार की नाकामी ही कही जाएगी।
अगर सरकार सचमुच कानून-व्यवस्था सुधारने को लेकर गंभीर होती, तो इस तरह न तो खालिस्तान समर्थक संगठन सक्रिय हो उठता और न मुख्यमंत्री आवास तक में बम पहुंच जाता। पंजाब पाकिस्तान से सटा राज्य है और वहां से घुसपैठ होने और आतंकवादी संगठनों के पैर पसारने की आशंका सदा बनी रहती है। अगर राज्य की पुलिस शिथिल हो तो ऐसे संगठनों और आपराधिक प्रकृति के लोगों को अपनी साजिशों को अंजाम देने में आसानी हो जाती है। अगर मान सरकार की यही शिथिलता बनी रही, तो पंजाब में सुरक्षा संबंधी समस्याएं और गहरी ही होंगी।