बिहार में पूर्णिया के पास ट्रेन की चपेट में आकर चार किशोरों की मौत की घटना ने एक बार फिर से यह रेखांकित किया है कि जोखिम वाली संवेदनशील जगहों पर बरती जाने वाली लापरवाही कैसे एक बड़े हादसे का कारण बन सकती है। खबरों के मुताबिक, पूर्णिया और कस्बा रेलवे स्टेशनों के बीच एक स्थान पर पांच किशोर जोगबनी-दानापुर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आ गए। उनमें से चार की मौत हो गई और एक बुरी तरह घायल हो गया।

इस घटना को भले ही एक हादसे के तौर पर ही देखा जाएगा, लेकिन इस क्रम में एक बार फिर यह ध्यान रखने की जरूरत है कि तेज रफ्तार ट्रेनों की आवाजाही के रास्ते पर बहुत मामूली असावधानी भी नाहक जान जाने की वजह बन सकती है।

हालांकि इस घटना के संबंध में आई खबरों में रेलवे के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया कि हादसे के वक्त पांचों किशोर रेलवे की पटरी पार कर रहे थे। इसी क्रम में वे तेज रफ्तार से आ रही ट्रेन की चपेट में आ गए। हालांकि इस हादसे की जांच के बाद ही पूरे तथ्य सामने आएंगे, लेकिन पटरी पार करने के क्रम में हादसा होने को लेकर तथ्य की पुष्टि होती है, तो आज यह एक दुखद सच्चाई बन चुकी है।

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दरअसल, लापरवाही की यह प्रवृत्ति हादसे से आगे एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है। जबकि ट्रेन की पटरियों को पार करते हुए थोड़ी-सी चूक का नतीजा क्या हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। ऐसी अनेक घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें रेलवे के फाटक बंद होने के बावजूद पटरी पार करने वाले व्यक्ति को यह पता होता है कि ट्रेन आने वाली है, फिर भी वह कुछ पलों का धीरज नहीं रख पाता है। जबकि ट्रेन कोई ऐसा वाहन नहीं है कि किसी पर नजर पड़ने के बाद तुरंत रुक सके।

पूर्णिया की यह घटना एक तरह से सभी के लिए सबक है कि ट्रेनों के गुजरने के रास्तों के आसपास किसी भी स्तर की लापरवाही न बरती जाए। खासतौर पर पटरी को पार करते समय हर स्तर पर निश्चिंत हो जाने की जरूरत है कि किसी तरफ से कोई ट्रेन नहीं आ रही है।