पंजाब में पिछले कुछ वर्षों में खिलाड़ियों की हत्या की घटनाएं बढ़ी हैं। मगर जिस तरह से कबड्डी खिलाड़ी कंवरदिग्विजय सिंह उर्फ राणा बालाचौरिया की पिछले दिनों हत्या की गई, उससे कई सवाल उठे हैं। यह व्यवस्था की भी नाकामी है। इस मामले में बुधवार को एक आरोपी उस समय पकड़ा गया, जब पुलिस उसका पीछा कर रही थी। मुठभेड़ में वह घायल हो गया। बाद में उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया।

इस मामले की तह में जाने और गिरोहबाजों का पर्दाफाश करने के लिए पुलिस लगातार छापे मार रही है। उसने बालाचौरिया की हत्या में तीन आरोपियों की शिनाख्त की थी। दो के नाम जाहिर किए गए, लेकिन तीसरे का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया था। मारा गया बदमाश वही तीसरा आरोपी है।

सवाल है कि कबड्डी प्रतियोगिताओं में दबदबा कायम करने के लिए गिरोहबाज पर्दे के पीछे से आपराधिक प्रतिस्पर्धा करने लगे हैं, तो समय रहते पुलिस-प्रशासन इस पर क्यों नहीं ध्यान दे रहा है? चिंता की बात है कि बेखौफ गिरोहबाज अपने रास्ते आ रहे या उनकी बात न मानने वाले खिलाड़ियों की हत्या तक कर दे रहे हैं। अगर समय रहते कार्रवाई हो, तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

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राणा बालाचौरिया ने कड़ी मेहनत कर खेल जगत में अपनी जगह बनाई थी। शुरुआत उन्होंने पहलवानी से की, लेकिन बाद में वे कबड्डी की दुनिया में चले गए, जहां वे न केवल चर्चित हुए, बल्कि इस खेल को बढ़ावा देने के लिए टीम भी बनाई।

कोई भी खिलाड़ी बरसों की मेहनत और लगन से अपनी एक पहचान बनाता है। मगर यह दुखद ही है कि वे जाने-अनजाने गिरोहबाजों के चंगुल में फंस जाते हैं। कभी उनसे रंगदारी मांगी जाती है, तो उन पर कभी बेजा दबाव डाले जाते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में खेल जगत जितना चमकदार हुआ है, गिरोहबाजों ने इसे उतना ही दागदार बना दिया है। खिलाड़ी मन लगा कर खेलें और देश का नाम रौशन करें, इसके लिए जरूरी है कि सरकार उन्हें सुरक्षित माहौल दे और गिरोहबाजों पर सख्ती से लगाम लगाए। कानून का राज दिखना चाहिए और साथ में गिरोहबाजों में कानून का खौफ भी।