भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक पल है कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। न सिर्फ यह ऐतिहासिक पल है वरन यह दोनों देशों के आपसी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के साथ नई दिशा भी देगा। प्रधानमंत्री के दौरे को कूटनीतिक लिहाज से महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। अमेरिका में खासा उत्साह है, जो अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के करीबी सहयोगियों के बयानों से जाहिर है कि तीन दिनों का यह दौरा रक्षा और औद्योगिक सहयोग की दिशा में एक नया मील का पत्थर साबित हो सकता है।
इस दौरे के इसलिए भी खास मायने हैं कि इसका पूरे विश्व, खास तौर पर हमारे पड़ोसी मुल्क चीन के लिए अहम संदेश है। पिछले कुछ अरसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीन का दबदबा बढ़ा है। वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लगातार अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। वह भारत के साथ सीमा विवाद में भी उलझा है।
चीन पर लगाम की कवायद के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है यात्रा
दूसरी ओर, अमेरिका को पता है कि चीन से उसकी अदावत में भारत की कितनी अहमियत है। ऐसे में चीन के वर्चस्व पर लगाम की कवायद के लिहाज से भी इस दौरे को खास माना जा रहा है। भारत इस समय पूरे विश्व में अपने जनबल को लेकर चर्चा में है। हम एक युवा देश हैं।
यह देश विश्व के सबसे ताकतवर देश के साथ बराबरी में बैठ कर जब बात करेगा तो कूटनीतिक स्तर पर खास मायने सामने आएंगे। यह तय है कि दोनों देशों के बीच सहयोग से चीन पर कच्चे माल और दूसरे श्रमबल के लिए निर्भरता खत्म होगी। इस तरह से रणनीतिक तौर पर यह दौरा भारत और चीन के संबंधों के लिहाज से भी संवेदनशील साबित होगा और इस क्षेत्र में हमारी चिंता और मान्यताओं को लेकर नई तस्वीर गढ़ेगा।
यह दौरा इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि यह वैश्विक स्तर पर मूल्यवृद्धि, युक्ति, समझ, चिंताओं, जिनमें आतंकी चुनौतियां भी हैं – को लेकर अहम भूमिका अदा करेगा।
यह सच है कि इस दौरे का मूल लक्ष्य रक्षा और औद्योगिक क्षेत्र में आपसी तालमेल को मजबूत करना है। आपसी रिश्तों का जो गठबंधन है, वह वैश्विक स्तर पर आतंकवाद समेत सब क्षेत्रों को संदेश दे रहा है।
यह सर्वमान्य है कि अगर दोनों देश रक्षा के क्षेत्र में किसी अहम समझौते पर पहुंचते हैं, तो उससे बड़े बदलाव की शुरुआत होगी। खास कर लड़ाकू विमानों के लिए जीई 414 जेट इंजन निर्माण को लेकर भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। रणनीतिक स्तर पर तकनीकी साझेदारी के साथ ऊर्जा के क्षेत्र में जो सहमति बनी तो पर्यावरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण असर दिखेगा।
खास बात यह है कि अमेरिका में पचास लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं जो दूसरी सबसे बड़ी अप्रवासी आबादी है। मोदी जब भी विदेश जाते हैं, वहां के भारतीय समुदाय से घुलमिल जाते हैं। भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए भारत की एकता का जो संदेश वे देते हैं, वह मनोबल बढ़ाने वाला होता है। मोदी के लिए जब भारतीय अप्रवासियों के साथ अमेरिकी भी खड़े होते हैं तो उसका संदेश दूर तक जाता है। ऐसे में देश के लिए यह महत्त्वपूर्ण ही नहीं गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसी जानीमानी शक्तियों में शुमार हैं, जो अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को दूसरी बार संबोधित करेंगे।