दक्षिण कोरिया में हुए विमान हादसे से एक बार फिर यही रेखांकित हुआ है कि तकनीकी मामलों में मानवीय स्तर पर हुई मामूली चूक भी एक बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती है। वहां रविवार को मुआन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरते वक्त एक विमान हादसे का शिकार हो गया और उसमें आग लग गई। जेजू एअर का यह विमान बैंकाक से दक्षिण कोरिया वापस आ रहा था और इसमें चालक दल के छह सदस्यों सहित कुल एक सौ इक्यासी लोग सवार थे। इनमें एक सौ उन्यासी लोगों की जान चली गई और मलबे में फंसे चालक दल के सिर्फ दो सदस्यों को जिंदा निकाला जा सका।

हादसे के कारणों का नहीं चला पता

अब तक हादसे के कारणों की जांच चल रही है। असली वजह बाद में ही सामने आएगी, लेकिन अब तक आ सकी खबरों के मुताबिक संभवत: मौसम खराब होने और किसी पक्षी के टकराने से उतरने की प्रक्रिया में विमान ने संतुलन खो दिया और हवाईपट्टी से फिसल कर दीवार से जा टकराया। कारण जो हो, आपात स्थिति से सही तरीके से निपट पाने में प्रबंधकीय चूक की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।

अचानक पैदा हुई स्थिति से हो सकती है दुर्घटना

हालांकि दक्षिण कोरिया की विमान सेवाओं को दुनिया की सबसे सुरक्षित सेवाओं में माना जाता है, मगर मुआन में हुई दुर्घटना को वहां के इतिहास के सबसे बुरे हादसों में से एक बताया जा रहा है। यह साफ है कि बहुत कुछ अचानक पैदा हुई परिस्थितियों पर निर्भर करता है। इसका सामना करने में संपूर्ण कौशल ही यह सुनिश्चित करता है कि किसी विमान सेवा के सुरक्षित होने का स्तर क्या है। पिछले कुछ समय में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें किसी तकनीकी गड़बड़ी की वजह से कोई विमान हादसे का शिकार हो गया या फिर उसे आपात स्थिति में उतारा गया।

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ऐसी घटनाओं को हादसे के रूप में दर्ज किया जाता है, जबकि विमान सेवा में सबसे जरूरी पहलू यही है कि उसमें हर स्तर पर, सौ फीसद सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने के बाद ही किसी विमान को यात्रियों को अपने गंतव्य पर ले जाने की इजाजत होनी चाहिए। मुआन हवाईअड्डे पर हुए हादसे ने एक फिर सावधानी और सुरक्षा के तकाजों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत रेखांकित की है।