पेरिस में चल रहे ओलंपिक खेलों का अभी शुरुआती दौर है और पदक तालिका में देशों और खिलाड़ियों के नाम दर्ज होने शुरू हुए हैं। भारत के नाम भी एक पदक दर्ज हुआ है। इससे आगे के सफर के लिए उम्मीद जगती है। रविवार को भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने दस मीटर एअर पिस्टल निशानेबाजी के महिला वर्ग में प्रतिभागी देशों के खिलाड़ियों को अच्छी चुनौती दी और उन्हें 221.7 अंक हासिल हुए। अंतिम दौर में वे तीसरे स्थान पर रहीं। उन्हें इस वर्ग की प्रतियोगिता में कांस्य पदक मिला और इसी के साथ पेरिस ओलंपिक में भारत के नाम पहला पदक दर्ज हुआ।
इंडियन प्लेयरों से पदल लाने की उम्मीदें बढ़ीं
अभी भारत को अन्य कई खेलों में हिस्सा लेना है और उसमें विश्व स्तर के खिलाड़ियों की क्षमताओं की चुनौतियों का सामना करना है। मगर पिछले कुछ वर्षों में हुई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के दौरान कुछ खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन से जैसे उत्साहजनक संकेत मिले हैं, उससे पेरिस ओलंपिक में भी उनसे पदक लाने की उम्मीद है।
निशानेबाजी में मनु भाकर को मिले कांस्य पदक के साथ ही इस खेल में पदक मिलने का भारत का पिछले बारह वर्ष का इंतजार खत्म हुआ। दरअसल, इस उपलब्धि के साथ ही पहली निशानेबाज बन कर मनु भाकर ने एक इतिहास रच दिया है। हालांकि इससे पहले तोक्यो ओलंपिक में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था और इसके लिए उन्हें कुछ आलोचनाएं भी झेलनी पड़ीं, लेकिन प्रसिद्ध कवयित्री और मानवाधिकार कार्यकर्ता माया एंजेलो की कविता ‘स्टिल आइ राइज’ यानी अभी मुझे आगे बढ़ना है से प्रेरणा लेने वाली मनु भाकर फिर से उठ खड़ी हुईं और अब वे ओलंपिक में पदक विजेता हैं।
अब देखना है कि निशानेबाजी में भारत के अन्य खिलाड़ी और क्या हासिल कर पाते हैं। मनु भाकर को मिले कांस्य की अहमियत पदक तालिका में कुल नतीजों से अलग इस रूप में है कि किसी भी खेल प्रतियोगिता में शुरुआती जीत या हावी होने की स्थितियां बाकी खेलों के प्रदर्शन में भी दम भरती हैं। इस लिहाज से देखें तो पिछले ओलंपिक की पदक तालिका में संतोषजनक जगह बना सकने वाली भारतीय खिलाड़ियों की टीम के लिए मनु भाकर की उपलब्धि उत्साह बढ़ाने वाली साबित हो सकती है।