पिछले कुछ समय से खेलों की दुनिया में भारतीय खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से जो उम्मीद जगाई है, उसे देखते हुए स्वाभाविक ही यह अपेक्षा होगी कि आज से फ्रांस के पेरिस में शुरू हो रहे ओलंपिक में भारत का नाम फिर चमकता हुआ दिखे। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई खेलों में हमारे खिलाड़ियों ने जैसा दमखम दिखाया, पदक तालिका में देश को एक सम्मानजनक जगह दिलाई, उसने देश के लोगों के भीतर खेलों को लेकर एक नया उमंग भर दिया है। 2020 में टोक्यो में हुए ओलंपिक में भारत ने सात पदक हासिल किए थे। यह ओलंपिक प्रतियोगिताओं में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन में काफी सुधार आया है

जाहिर है, इस बार न केवल देश के लोगों को इससे ज्यादा पदक जीतने की उम्मीद होगी, बल्कि खुद भारतीय खिलाड़ियों का भी लक्ष्य यही होगा कि अपने पदकों की संख्या को कम से कम दस के पार ले जाया जाए। हालांकि ओलंपिक में शामिल होने वाले सभी देश अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन और पदकों पर कब्जा जमाने के मकसद को ध्यान में रखते हुए ही तैयारी करते हैं। मगर हाल के वर्षों में कई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन में गुणात्मक सुधार के मद्देनजर काफी संभावनाएं दिख रही हैं।

गौरतलब है कि इस बार पेरिस ओलंपिक में भारत की ओर से एक सौ सत्रह एथलीट हिस्सा लेने पहुंचे हैं। इन खिलाड़ियों को यह ध्यान रखने की जरूरत है कि हौसला किसी भी मैदान में हाथ से छूटती बाजी को लपक लेने का सबसे बड़ा हथियार होता है। पिछले ओलंपिक में भाला फेंक में नीरज चोपड़ा ने जिस तरह स्वर्ण पदक जीता था, अब इस ओलंपिक में भी उनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा, तीरंदाजी, कुश्ती, हाकी और बैडमिंटन में भारतीय खिलाड़ियों से पदक की अपेक्षा की जा सकती है।

यह भी देखने की बात होगी कि पिछले साल एक अप्रिय विवाद से गुजरने के बाद कुश्ती में भारतीय खिलाड़ी क्या ला पाते हैं। यह सही है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस सबसे चुनौतीपूर्ण प्रतियोगिता में भारत के लिए चुनौती भी बड़ी है। मगर उम्मीद की जानी चाहिए कि अलग-अलग खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने वाले प्रबंधन ने इस स्तर की तैयारी कराई होगी कि पदक तालिका में भारत को एक सम्माजनक जगह हासिल करने की संभावना बनेगी।