अफवाह फैलाने वालों का मूल मकसद लोगों में दहशत फैलाना और प्रशासन को परेशान करना होता है। वे इस बात से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं कि ऐसा करने पर उन्हें कड़ी सजा हो सकती है। फिर भी अफवाहों के सिलसिले पर रोक नहीं लग पा रही। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के करीब सौ स्कूलों में बम रखे होने की सूचना मेल के जरिए देना इसकी ताजा कड़ी है।
यह मेल बुधवार को तड़के भेजा गया था। उसके बाद स्वाभाविक ही अफरातफरी का माहौल बन गया। स्कूल खाली करा लिए गए। पुलिस और बम निरोधक दस्ते स्कूलों की छानबीन करने में जुट गए। दोपहर तक पूरे प्रशासन का ध्यान इसी तरफ लगा रहा। आखिरकार पता चला कि सूचना झूठी थी। पुलिस ने पता कर लिया है कि मेल कहां से भेजा गया था। इससे पहले भी कुछ स्कूलों में इसी तरह बम रखे जाने की झूठी सूचनाएं दी गई थीं, जिससे प्रशासन को नाहक परेशान होना पड़ा था। इस समय चुनाव की सरगर्मी है, इसलिए भी ऐसी सूचना से प्रशासन के माथे पर बल पड़ गए थे।
इस तरह बम रखे होने की सूचनाएं देने के मामले पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। हवाई जहाजों में बम रखने की अफवाहें तो जैसे आम बात हो चली है। ऐसी गलत सूचनाएं देने वाले पकड़े भी जाते हैं। उनमें से कइयों को लंबी अवधि की सजाएं भी सुनाई जा चुकी हैं। फिर भी अफवाह फैलाने वाले कोई सबक नहीं ले रहे, तो इसकी एक वजह तो युवाओं में पुलिस को परेशान कर क्षणिक सुख पाने की प्रवृत्ति है।
दूसरे, बहुत सारे लोग किसी झुंझलाहट में या किसी को सबक सिखाने के इरादे से ऐसा करते हैं। संचार संसाधनों के प्रसार और उन्हें उपयोग करने की चोर विधियों ने गलत सूचना देकर सुख पाने की प्रवृत्ति को और बढ़ाया है। ऐसे लोग अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं कर पाते कि ऐसी सूचनाओं से कितने लोगों को परेशानी उठानी पड़ती और कई बार बड़े हादसे भी जाते हैं। अच्छी बात है कि पुलिस ने ऐसी सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई का व्यवस्थित तंत्र विकसित कर लिया है।