पाकिस्तान की समस्या यह है कि जब भी वह भारत के खिलाफ अपने किसी एजंडे को हकीकत में तब्दील करने में नाकाम होता है या फिर खुद को गंभीर आरोपों के कठघरे में पाता है, तब भारत की ओर अंगुली उठा कर खड़ा हो जाता है। हालांकि ऐसा करने से खुद उसके ही कमजोर होने का एक संदेश निकलता है, लेकिन ऐसा लगता है कि बार-बार शर्मिंदगी उठाने के बावजूद उसे भारत पर आरोप लगाने में कोई असहजता नहीं महसूस होती।
सवाल है कि क्या अब इस तरह की गतिविधियां पाकिस्तान की आदत में तब्दील हो गई हैं कि अपनी सीमा में मुश्किलों का हल निकालने के बजाय वह किसी भी मामले में भारत का नाम लेकर दुनिया और पाकिस्तानी अवाम को गुमराह करना प्राथमिक समझता है! दरअसल, गुरुवार को पाकिस्तान ने दावा किया कि उसके पास पिछले वर्ष सियालकोट और रावलकोट में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े दो पाकिस्तानी आतंकवादियों की हत्या और ‘भारतीय एजंट’ के बीच संबंध होने के ‘ठोस सबूत’ हैं। अब वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को जिस रूप में देखा-समझा जाता है, उसमें इस आरोप को लेकर शायद ही कोई देश गंभीर होता हो। मगर इससे पाकिस्तान की मंशा एक बार फिर सामने आई है।
इस तरह के उथले और निराधार आरोपों की सच्चाई यह है कि जिन आतंकवादियों के मारे जाने के बारे में पाकिस्तान ने भारत पर अंगुली उठाई है, उनसे संबंधित आतंकी संगठनों को पालने के लिए कठघरे में वह खुद खड़ा है। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान स्थित ठिकानों से अपनी आतंकी गतिविधियां संचालित करने के मसले पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग सम्मेलनों में भी सवाल उठ चुके हैं।
ऐसे में भारत का यह जवाब बिल्कुल उचित है कि पाकिस्तान की ओर से इस मामले में जो भी कहा गया है, वह भारत विरोधी झूठा और दुर्भावना से भरे प्रचार का उसका नवीनतम प्रयास है; पाकिस्तान जो बोएगा, वही काटेगा और उसकी अपनी करतूतों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराना न तो न्यायोचित हो सकता है, न ही समाधान। सच यह है कि पाकिस्तान अपने दावे में ही दोनों आतंकवादी संगठनों और उनके सदस्यों के अपने सीमा-क्षेत्र में मौजूद होने की पुष्टि कर रहा है।
दरअसल, ताजा आरोप लगाते हुए पाकिस्तान ने यह सोचना भी जरूरी नहीं समझा कि उसके सीमा क्षेत्र में आतंकवादी संगठनों से जुड़े लोग ‘पाकिस्तानी नागरिक’ और आतंकी पहचान के बावजूद शासन की गिरफ्त में क्यों नहीं थे! आतंकवादियों की हरकतों के बारे में दुनिया जानती है कि वे नाहक ही मासूम और निर्दोष लोगों की हत्या करते हैं, आतंक फैलाते हैं, तो खुद पाकिस्तान स्थित किसी अन्य संगठन या एजंसी के साथ भी टकराव में वे मारे जा सकते हैं।
लेकिन महज शौक की वजह से भारत पर आरोप लगाते हुए पाकिस्तान ने कभी भी अपने गिरेबां में झांकने की जरूरत नहीं समझी है। जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और अन्य संगठन पाकिस्तान स्थित अपने ठिकानों से भारत में जिन आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देते हैं, उसे संरक्षण देने का मुख्य आरोपी खुद पाक रहा है।
अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2017 में चीन में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र में भी जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान आधारित संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने की मांग की गई थी। इसलिए आतंकवाद को खाद-पानी मुहैया कराने के आरोपों से खुद घिरा पाकिस्तान जो आरोप भारत पर लगाता है, उसके आईने में उसे खुद को देखना चाहिए।