भारत लंबे समय से कहता आ रहा है कि पाकिस्तान दहशतगर्दों की सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है, मगर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे गंभीरता से कभी नहीं लिया गया। जबकि इस हकीकत से सभी वाकिफ हैं कि पाकिस्तान में आतंकी संगठनों की सक्रियता न केवल भारत के लिए, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों के लिए भी खतरा है। अब तो पाकिस्तान को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अतीत में चीन जैसे कुछ देश पाकिस्तान की आतंकवादियों को शह देने की नीति को नजरअंदाज करते रहे हैं। आतंकवाद के मसले पर चीन कई बार संयुक्त राष्ट्र में अपने विशेषाधिकार का उपयोग कर पाकिस्तान को बचा चुका है।

अब वैश्विक आतंकवाद सूचकांक के ताजा आंकड़ों से यह तथ्य उजागर हुआ है कि पाकिस्तान को अपने किए का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। वह अब दुनिया का सबसे अधिक आतंकवाद प्रभावित देश बन गया है। वहां दहशतगर्दी लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले वर्ष पाकिस्तान में आतंकी हमलों में होने वाली मौतों में पैंतालीस फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसी तरह वहां हुए आतंकी हमलों की संख्या भी वर्ष 2023 के 517 की तुलना में 2024 में बढ़ कर 1,099 हो गई। पाकिस्तान लंबे समय से दावा करता रहा है कि प्रतिबंधित तहरीके-तालिबान पाकिस्तान जैसे आतंकी संगठन अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इन हालात में भी अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान

इन हालात में भी भारत के खिलाफ अपनी करतूतों से पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा है। वह भारत के खिलाफ दहशतगर्दी का इस्तेमाल हथियार की तरह किए जा रहा है। जो गतिविधियां वह भारत के खिलाफ चलाता है और उसमें वहां की सेना और खुफिया एजंसी आइएसआइ तक शरीक देखी जाती हैं, वैसी ही वह अपने बलूचिस्तान क्षेत्र में चल रही गतिविधियों से त्रस्त है। पिछले हफ्ते बलूचिस्तान क्षेत्र में सक्रिय सभी विद्रोही गुटों ने हाथ मिला लिया और उन्होंने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ युद्ध छेड़ने का एलान कर दिया।

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बलूचिस्तान क्षेत्र में चल रही चीन की विकास परियोजनाओं का विरोध वे लंबे समय से करते रहे हैं, मगर पाकिस्तान सरकार और सेना उन्हें हथियार के बल पर दबाने का प्रयास करती रही हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि वहां आतंकी गतिविधियां काफी जोर पकड़ चुकी हैं। उन हमलों में कई चीनी नागरिक भी मारे जा चुके हैं। पर पाकिस्तान ने दहशतगर्दी के खिलाफ कोई मुकम्मल नीति नहीं बनाई है। जब से अफगानिस्तान में तालिबान का शासन हुआ है, पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी गतिविधियां चलाने वाले संगठनों को वहां से पनाह और इमदाद मिलने लगी है। इससे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

चौपट हो चुकी है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था

पाकिस्तान लंबे समय से समस्याओं से पार पाने की जद्दोजहद कर रहा है। वहां महंगाई चरम पर है। अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त है। हालत यह है कि कई बार वहां के लोग आटे-दाल के लिए संघर्ष पर उतर आए। फिर भी पाकिस्तानी हुकूमत का जोर तरक्की के बजाय चीन से मिलने वाली इमदाद और उसके जरिए भारत पर दबाव बनाए रखने का अधिक है।

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वैश्विक आतंकवाद सूचकांक के आंकड़ों से जाहिर है कि पाकिस्तान में स्थितियां दिनों-दिन गंभीर होती जा रही हैं व अगर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ने मिल कर इसका कोई हल निकालने की कोशिश नहीं की, तो पाकिस्तान में पल रहे दहशतगर्द न केवल भारत और पाकिस्तान के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। इसके नतीजे पहले कई जगह देखे जा चुके हैं, जिसमें सबसे बड़ा हमला अमेरिका के विश्व व्यापार संगठन के दफ्तर पर हुआ था।